अवैध खनन पर दर्ज हो सकती है आईपीसी में एफआईआर: एचसी

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अवैध खनन में भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के तहत अपराध की प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है। मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) में निर्देश जारी कर सकते हैं और पुलिस रिपोर्ट पर संज्ञान ले सकते हैं। ऐसे मामलों में माइंस मिनरल एक्ट की धारा 22 आड़े नहीं आएगी। धारा 22 खनन अपराध पर कंप्लेंट दाखिल करने तथा प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस विवेचना को प्रतिबंधित करती है।
न्यायमूर्ति ने याचिका की खारिज
न्यायमूर्ति वीके बिड़ला तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने नगीना थाना क्षेत्र बिजनौर निवासी अभिषेक कुकरेती व नौ अन्य की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि माइंस मिनरल एक्ट के उपबंधों का भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
अवैध खनन व लोक संपत्ति को नुकसान के अपराध की प्राथमिकी पोषणीय है। माइंस मिनरल एक्ट के अपराधों पर ही नियम लागू होंगे,दंड संहिता के अपराध की पुलिस जांच कर सकती है। अखबारों में अक्सर अवैध खनन की खबरें देखी जा रही हैं। इससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। वृहत्तर लोकहित में कानून बनना चाहिए।कोर्ट ने अपर सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया व अपर शासकीय अधिवक्ता को आदेश की प्रति सप्ताह भर के भीतर क्रमशः भारत सरकार के संबंधित सचिव व राज्य सरकार के मुख्य सचिव व गृह सचिव को प्रेषित करने का भी निर्देश दिया। इसके साथ कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जयंत केस के निर्देशानुसार सरकार कानून बनाए।
यह है मामला
अवैध खनन में इस्तेमाल डंपर, ट्रैक्टर पकड़े और जब्त किए गए। अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। विवेचना में याचियों का नाम सामने आया। याची का कहना था कि अवैध खनन मामले में माइंस मिनरल एक्ट के तहत कंप्लेंट दाखिल की जा सकती है। प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती। खनन विभाग के अधिकारी कंप्लेंट की जांच कर कार्रवाई कर सकते हैं, इसलिए पुलिस रिपोर्ट पर मजिस्ट्रेट संज्ञान लेकर जारी समन रद करें। इस तर्क को कोर्ट ने सही नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि खनन मामले में यदि अपराध दंड संहिता का है तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना रिपोर्ट पेश कर सकती है और मजिस्ट्रेट ऐसी पुलिस रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर कार्रवाई कर सकता है। खंडपीठ ने टिप्पणी की, सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि खनन मामले में दंड संहिता के अपराध की प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना की जा सकती है।