लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लेते हुए हाथरस प्रकरण की जांच सीबीआइ से कराए जाने के आदेश दिए हैं। सीएम योगी ने कहा कि हाथरस की दुर्भाग्यपूर्ण घटना और इससे जुड़े सभी बिंदुओं की गहन पड़ताल के उद्देश्य से सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई है। मुख्यमंत्री दफ्तर की ओर से ट्वीट कर सीबीआइ जांच कराने की जानकारी दी गई है। योगी सरकार की ओर से सीबीआइ जांच का आदेश ऐसे वक्त आया जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका वाड्रा मृत पीड़िता के परिवार से मिलने हाथरस पहुंचे थे। दोनों नेताओं ने यहां पर पीड़िता के परिवार से बंद कमरे में करीब एक घंटे तक मुलाकात की।
मुख्यमंत्री दफ्तर की ओर से सीबीआइ जांच की सिफारिश की जानकारी देने के कुछ देर बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद ट्वीट कर कहा कि ‘हाथरस की दुर्भाग्यपूर्ण घटना और जुड़े सभी बिंदुओं की गहन पड़ताल के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार इस प्रकरण की विवेचना केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबाआइ) के माध्यम से कराने की संस्तुति कर रही है। इस घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को कठोरतम सजा दिलाने के लिए हम संकल्पबद्ध हैं।’ उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने हाथरस कांड का स्वत: संज्ञान लेकर अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों को 12 अक्टूबर को तलब किया है। कोर्ट ने प्रकरण में ठीक ढंग से कार्रवाई न किए जाने की दशा में किसी अन्य जांच एजेंसी को पड़ताल सौपे जाने पर विचार करने की बात भी कही थी।
एक्शन में सीएम योगी आदित्यनाथ : हाथरस कांड को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन में हैं। पहले उन्होंने शुक्रवार रात हाथरस के एसपी व सीओ समेत पांच पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की। योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर युवती की हत्या की घटना में लचर पर्यवेक्षण के दोषी हाथरस के एसपी विक्रांत वीर व तत्कालीन सीओ राम शब्द समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। प्रकरण की जांच के लिए गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित एसआइटी की पहली रिपोर्ट मिलने पर यह कार्रवाई की थी। उसके बाद शनिवार देर शाम उन्होंने पूरे मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश की है।
अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी के वापस आने के बाद निर्णय : यूपी सरकार ने हाथरस कांड की सीबीआइ जांच कराने का बड़ा फैसला लिया है। गृह विभाग प्रकरण की सीबीआइ जांच की सिफारिश संबंधी पत्र केंद्र सरकार को भेजने की तैयारियों में जुट गया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने हाथरस में पीड़ित परिवार से शनिवार को मुलाकात की थी। दोनों अधिकारियों ने वापस आकर शाम को सीएम योगी को हाथरस में सामने आए सभी तथ्यों की विस्तार से जानकारी दी। युवती के परिवार ने हाथरस कांड की पड़ताल कर रही एसआइटी की जांच को लेकर असंतोष भी जताया था। हालांकि बाद में परिवार ने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने प्रकरण को लेकर हुई कार्रवाई पर संतोष जताया।
मृत युवती के स्वजन आला अफसरों के आश्वासन पर संतुष्ट : इससे पहले हाथरस के बुलगढ़ी गांव में युवती की मौत को लेकर उठ रहे बवंडर को शांत करने राज्य के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी और पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी शनिवार को यहां पहुंचे। मृत युवती के स्वजन ने बेटी का अंतिम संस्कार न करने देने और घर पर पुलिस की निगहबानी की शिकायत की। स्वजन ने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अफसरों ने उन्हें निष्पक्ष कार्रवाई का भरोसा दिलाया। स्वजन अधिकारियों के इस आश्वासन से संतुष्ट भी दिखे।
नार्को टेस्ट जरूरी नहीं : मृतका और आरोपितों के परिवार के नार्को टेस्ट को लेकर बखेड़ा मचा हुआ है। मृतक युवती के पिता ने बताया कि दोनों अधिकारियों से नार्काे टेस्ट के बारे में कोई बात नहीं हुई। युवती के भाई ने टेस्ट को अनावश्यक बताया और कहा कि हम पर विश्वास करें, हम सच बोल रहे हैं, जबकि आरोपित पक्ष सरकार के नार्को टेस्ट कराने के आदेश को सही बता रहा है। आरोपित लवकुश की मां मुन्नी देवी ने कहा कि घटना वाले दिन वह भी अपने खेत पर ही थी। उनका खेत युवती के खेत के पास ही है। युवती खेत में बेहोश पड़ी थी। काफी शोर मचा था। बाद में लोग उसे अस्पताल ले गए।
सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में हो जांच : पीड़िता के भाई ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हम चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में मामले की जांच की जाए, लेकिन सीबीआइ जांच भी ठीक है। उन्होंने कहा कि उन्हें केवल जांच से संतुष्टि नहीं है। उन्हें उनके सवालों का जवाब दिया जाए। उन्होंने सवाल दोहराते हुए कहा कि वह जानना चाहते हैं कि जिसकी बॉडी जलाई गई थी वह किसकी थी? अगर वह उनकी बहन का शव था तो उसे इस तरीके से क्यों जलाया गया? डीएम ने उनके साथ बदसलूकी क्यों की?