लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के मामले में विभिन्न जिलों में दर्ज करीब 450 मुकदमों में पुलिस को करीब ढाई हजार आरोपितों की तलाश है। पुलिस पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कई सक्रिय सदस्यों और उनसे जुड़े लोगों पर भी नजर रख रही है।
दिल्ली में हुई हिंसा में शामिल उत्तर प्रदेश के निवासी करीब 300 आरोपितों की दिल्ली पुलिस को भी तलाश है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों के बीच समन्वय बैठक भी हुई थी। हालांकि दिल्ली पुलिस ने अभी आरोपितों की सूची उत्तर प्रदेश पुलिस से साझा नहीं की है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि दिल्ली पुलिस के संपर्क करने पर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई में पूरी मदद की जाएगी।
दूसरी ओर प्रदेश में हिंसा की घटनाओं में पीएफआई की भूमिका सामने आने के बाद आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) भी सक्रिय है। हिंसा के मामलों में पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत 113 सदस्यों को पुलिस ने अब तक गिरफ्तार किया है, इनमें सबसे अधिक 22 मेरठ व 16 लखनऊ में पकड़े गए हैं। पीएफआई के कई सदस्यों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। पीएफआई से जुड़े कुछ संगठनों की भूमिका भी जांच के दायरे में रही है।
बता दें, प्रतिबंधित संगठन सिमी के कई सक्रिय सदस्यों के पीएफआई में शामिल होने बात सामने आई थी। इसके बाद ही खुफिया इकाइयों को भी सक्रिय कर दिया गया था। सीएए के विरोध में हुई हिंसा की घटनाओं में पुलिस ने अब तक कुल 1640 से अधिक आरोपितों को गिरफ्तार किया है, इनमें आठ आरोपितों ने कोर्ट में समर्पण किया था। ढाई हजार से अधिक आरोपितों की पुलिस को तलाश है।
उत्तर प्रदेश में 19 और 20 दिसंबर 2019 को 22 जिलों में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था। इस दौरान 21 लोगों की मौत हुई थी।