फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है तभी से सहकारिता से सपा (छोटे सिंह यादव) का किला ध्वस्त करने में लगी भाजपा के लिए आज भी अध्यक्ष की कुर्सी गाजर-मूली नही है| एक छोटी सी गलती भाजपा को सम्भावित अध्यक्ष की कुर्सी से दूर पटक सकती है|
दरअसल सहकारिता का छोटे सिंह यादव को बाजीगर कहा जाता है बाजीगर भी वह जो दोनों तरफ की चाले खुद चलने में माहिर हैं| नतीजा सामने है कि आज तक भाजपा उनकी चाल पर भारी नही पड़ पायी है, या भाजपा के पास कोई खिलाडी नही जो छोटे सिंह की चाल को मात दे सके?
विदित है कि 8 जुलाई 2015 को पूर्व सांसद छोटे सिंह यादव के पुत्र सुधीर कुमार यादव की मार्ग दुर्घटना में मौत हो गयी थी| उस समय सुधीर जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष एवं पीसीएफ लखनऊ के निदेशक थे| सुधीर की मौत के बाद उनकी पत्नी मनोरमा यादव दि फर्रुखाबाद डिस्ट्रिक कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड की अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठीं|
इससे पूर्व दशकों से छोटे सिंह का ही कब्जा बैंक पर रहा है| लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद शिकायते हुई और अबैध रूप से संचालक (डायरेक्टर) बनने के मामले में छोटे सिंह यादव व उनके सागिर्द ओमकार सिंह, अरविन्द सिंह यादव, मुनेश्वर सिंह, प्रेम लता यादव, रामप्रकाश यादव, ओम प्रकाश यादव, महेंद्र यादव, रहीश पाल व सबसे करीबी दिगम्बर सिंह को हटा दिया गया|
कुल 10 डायरेक्टर पद से हटा दिये जाने से यह 10 पद रिक्त हो गये है| जबकि अभी अध्यक्ष मनोरमा यादव, कल्याण सिंह, निर्मल कुमार और शैलेन्द्र सिंह छोटे सिंह के खेमें में है| अब ध्यान से समझें कुल 14 पदों में से 10 खाली और चार पर छोटे सिंह का कब्जा है| अब चुनाव 10 संचालकों के पदों पर होगा| पहले तो बड़ा सबाल है कि रिक्त सभी पदों पर भाजपा अपना कब्जा करे| यदि 10 में से एक भी छोटे सिंह के खेमें में चला गया तो छोटे सिंह का किला फिर से मजबूत हो जायेगा और मनोरमा यादव की कुर्सी सलामत रहेगी|
सहकारिता की नियमावली यह कहती है कि यदि 14 में से 5 संचालक अध्यक्ष के पास है तो वह अध्यक्ष बना रहेगा| इस लिए भाजपा को अध्यक्ष की कुर्सी के लिए फूंक-फूंक कर पैर रखने की जरूरत है|
छोटे सिंह और भाजपा नेताओं में हो चुकी है मारपीट और मुकदमे बाजी
बीते चार फरवरी 2019 को लगभग एक वर्ष पहले दि फर्रुखाबाद डिस्ट्रिक कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड में आयोजित होने हुई सामान्य निकाय की वार्षिक साधारण सभा में भाजपा नेताओं और सपा के पूर्व सांसद छोटे सिंह यादव आदि में जमकर बबाल हुआ था| जिसमे दोनों तरफ से 209 लोगों के खिलाफ मुकदमा गंभीर धाराओं में दर्ज हुआ था| जिसमे जमकर कुर्सियां और ईंट-पत्थर चले थे|