फर्रुखाबाद: मंगलवार 22 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये मतदान होना है| जिसमे सपा व बीजेपी पूरी ताकत झोंके है| एक तरफ सांसद मुकेश राजपूत की प्रत्याशी राजकुमारी कठेरिया है तो वही सपा की तरफ से ज्ञानदेवी मैदान में है| सियासत के शतरंज को पार कर कौन अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेगा इसका पता लगभग 24 घंटे बाद लग ही जायेगा| लेकिन किसी एक की नाक कटना लाजमी है|
बीजेपी के सांसद के साथ कहने को तो केंद्र व प्रदेश के साथ ही साथ जिले के अधिकतर जनप्रतिनिधि है| लेकिन अंदरूनी भीतरघात उन्हें भी झेलना पड़ रहा है | बीजेपी की यह अंदरूनी खेमे बंदी कोई नई नही है| बीते कई चुनावो में बीजेपी को अंदरूनी कलह व विरोध ही सत्ता से दूर किये रहा |अब फिर जिला पंचायत के चुनाव को लेकर बीजेपी के कई नेताओ पर आरोप लग रहे है कि वह सांसद की मदद ना करके विरोधी से अंदरखाने में मिले हुये है| इसी भीतरघात से ही चुनाव अब खतरे में नजर आने लगा है | यदि केंद्र व प्रदेश में सत्ता व जिले में चार विधायक व एक सांसद होने के बाद भी चुनाव में जीत हासिल नही होती तो बीजेपी का जिले में भविष्य क्या होगा|
वही सपा की सरकार ना होने के बाद भी ज्ञानदेवी को चुनाव लड़ा रहे सुबोध यादव अपने पास 23 सदस्यों के होने का दावा कर रहे है| सोमबार सुबह कंपिल चेयरमैंन उदयपाल ने अपने भाई के साथ सपा प्रत्याशी ज्ञान देवी को समर्थन दे देने से यह बात भी साफ हो गयी की बीजेपी की सत्ता का चुनाव पर असर कितना असर है| सत्ता का असर क्या होता है यह सगुना देवी के जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के दौरान सभी ने देख लिया था| आज भी वही फार्मूला चल रहा है| चुनाव में कमजोर पड़ रही बीजेपी को देखकर तो यह लग रहा है| सपा एक बार फिर से सत्ता होने जैसा अनुभव करा रही है|
सांसद मुकेश राजपूत ने बताया कि विरोधी जिस तरह से चुनाव लड़ रहे है उस तरह से वह नही लड़ सकत| वह जिले की जनता के सम्मान के लिये चुनाव मैदान में अपना प्रत्याशी उतारे है| सुबोध यादव ने बताया कि सपा के साथ तब भी सभी सदस्य थे| शगुना देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद भी वह उन्ही के साथ है| इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा|