सिकत्तर बाग आश्रम पर फिर संकट के बादल

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फर्रुखाबाद: शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला सिकत्तरबाग स्थित आध्यात्मिक केन्द्र पर फिर संकट के बादल मड़राते नजर आ रहे हैं। मंगलबार को दोपहर बाद बिहार की महिला रेखादेवी ने आश्रम से बच्ची न देने का आरोप लगाया है।

मंगलवार को बिहार के जनपद भगलपुर थाना लगचिया निवासी महिला रेखादेवी पत्नी विनयराय दोपहर बाद सिकत्तरबाग आश्रम पर अपनी मां गायत्रीदेवी, भाई बृजेश कुमार के साथ पहुंची।
रेखादेवी ने बताया कि उसके पड़ोस में ही गीता पाठशाला के नाम से आध्यात्मिक केन्द्र चल रहा है। जहां उसने अपनी 14 वर्षीय पुत्री मनीषा को ज्ञान लेने के लिए भेज दिया। हम लोग भी आश्रम में आने जाने लगे। आश्रम में आत्मा और परमात्मा के मिलन का पाठ पढाया जाता था। 9 माह पूर्व सिकत्तरबाग आश्रम में गीता पाठशाला से सविता माता नाम की महिला के साथ मनीषा फर्रुखाबाद आ गयी।

रेखादेवी व उसके पति विनय राय भी सिकत्तरबाग आश्रम में भट्ठी ज्ञान लेने पहुंचे। भट्ठी ज्ञान लेने के बाद रेखादेवी और विनयराय वापस चले गये। विनयराय हरियाणा में सब्जी बेचने का कार्य करता है। 9 माह बीत जाने के बाद भी जब बच्ची घर नहीं आयी तो रेखा के साथ उसके अन्य परिजन मनीषा को लेने सिकत्तरबाग आश्रम पहुंचे जहां नाबालिग मनीषा ने मां बाप के साथ जाने से इंकार कर दिया।

रेखा को महंगा पड़ा पुत्री को भट्ठी ज्ञान दिलाना
मनीषा की मां रेखादेवी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी नाबालिग पुत्री मनीषा भट्ठी ज्ञान लेने के बाद अपने मां बाप को ही भुला देगी। फूट-फूट कर रो रही रेखादेवी के मुहं से यही निकल रहा था कि हमें तो भट्ठी ज्ञान महंगा पड़ गया। प्रश्न यह भी उसके दिलो दिमाग में गूंज रहा था कि आखिर ऐसा कौन सा ज्ञान है जो उसकी नाबालिग पुत्री मनीषा को दे दिया गया जिससे वह घर जाने तक को तैयार नहीं।

सूचना मिलने पर गुलाबी गैंग की कमांडर अंजली यादव पीड़ित महिला की मदद करने पहुंची। अंजली ने बताया कि अगर रेखादेवी की पुत्री वापस न दी गयी तो इसकी शिकायत जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी से की जायेगी।

पहले भी हो चुका है आध्यात्मिक केन्द्र में बच्चियों को गायब करने पर बबाल
तकरीबन 9 माह पूर्व सिकत्तरबाग का आश्रम कई दिनों तक टीबी चैनलों व प्रिंट मीडिया में छाया रहा। दूर-दूर प्रदेशों से लोग अपनी बच्चियों को ढूंढने के लिए आते रहे। कुछ को तो उनकी पुत्रियां मिल गयीं और कुछ फर्रुखाबाद की कोतवाली कचहरी की खाक छानकर मजबूर होकर वापस लौट गये। आश्रम में मासूम बच्चियों के परिजनों ने कई बार छापे डलवाये। तोड़फोड़ भी की लेकिन इसके बाद सारा मामला टांय-टांय फिस हो गया था।