बेसिक शिक्षा: स्कूलों का हाल-बेहाल है तो कोचिंग स्कूलों का बाजार गर्म

Uncategorized

फर्रुखाबाद: 6 से 14 साल तक का कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे इसके लिए जिले में सर्व शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन के स्तर पर कई बार बैठकें हो चुकी हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियां निकाली गई। अध्यापकों को घर-घर भेजकर बच्चों को स्कूल लाने की जिम्मेदारी तक सौंपी गई, लेकिन इसके बाद भी अभियान कारगर होता नहीं आ रहा है।

शिक्षा हमारा मौलिक अधिकार है। भारत का संविधान हमें ये बात बताता है लेकिन ये मौलिक अधिकार कितनों को हासिल है ये एक बड़ा सवाल है। देश के कितने बच्चों के जेहन अच्छी तालीम से रोशन हैं। सरकारी स्कूल जो दे रहे हैं वो कितनी शिक्षा है और कितनी साक्षरता। सरकारी स्कूलों का हाल-बेहाल है तो कोचिंग स्कूलों का बाजार गर्म।स्कूलों की खंडहर इमारत, नाम मात्र के बच्चे, मिड डे मील योजना का बुरा हाल और रिजल्ट खराब।यही है हमारे बेसिक शिक्षा का हाल|

गुरूवार  की सुबह जे ऍन आई की टीम जब थाना नवाबगंज के प्राथमिक विद्यालय कुतुवुद्दीनपुर का हाल जानने पहुंची तो कहीं समय से पहले ही स्कूल बंद कर ताले लटके हुए मिले| बच्चे अपने समय से स्कूल पहुँच गए लेकिन मास्टर साहब का कोई अता-पता नहीं| इस विद्यालय के प्रधानाचार्य विनोद कुमार जी है और सहायक अध्यापक अवधेश| स्कूल में सिर्फ शिक्षामित्र नारायण देव ही नजर आये लेकिन उनके परिवार के सदस्य की हालत खराब होने की बजह से उन्हें भी कानपुर जाना पडा और दूसरी शिक्षामित्र हैं सुषमा जो महीनों नही आती हैं तो फिर क्या स्कूल बंद|

सर्वशिक्षा अभियान-

शिक्षा हमारा अधिकार हैं। हमें शिक्षित होना ही चाहिए, यह जिद्द पैदा न हो सकी। कुछ मुठ्ठीभर लोग जरूर प्रयास करते रहे। सभी ने यदि एक जैसा सोचा होता या सरीखा प्रयास किया होता तो निश्चित तौर पर कहानी कुछ और ही होती।

प्रायमरी स्कूलों के सभी शिक्षकों को एक मिशन जरूर दिया गया था किन्तु सरकार ने उन्हें पढ़ाने का समय कम और अन्य कामों के लिए अधिक समय दिया। जनगणना से लेकर चुनाव प्रक्रिया तक, खिचड़ी बनाने से खिलाने तक का कार्य प्रायमरी शिक्षकों को सौंप कर सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी कि हम सदैव अड़ियल थे और रहेंगे।