लखनऊ: स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले यूपी में IS और JEM के तीन आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश में जन्माष्टमी पर्व को लेकर पुलिस और खुफिया एजेंसियां और चौकन्ना हो गई हैं। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर विशेष तैयारियां की गई हैं।
इस दौरान 25 जिलों की फोर्स को चप्पे चप्पे पर तैनात किया गया है।
- यूपी में आतंकियों के पकड़ जाने के बाद जन्माष्टमी की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर डीजीपी डीएस चौहान ने कड़े निर्देश दिए हैं।
- जन्माष्टमी पर संवेदनशील स्थलों पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए और अधिकारी खुद बाजारों में भ्रमण करें।
- डीजीपी ने इंटरनेट मीडिया पर भी कड़ी नजर रखने को कहा है। कहा है कि सभी पुलिस अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में भ्रमणशील रहेंगे।
- इंटरनेट मीडिया पर किसी भ्रामक/आपत्तिजनक संदेश के प्रसारित होने पर तत्काल विधिक कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाए और भ्रामक सूचनाओं का तत्काल खंडन किया जाए।
- संवेदनशील क्षेत्रों में प्रभावी पेट्रोलिंग कराये जाने का निर्देश दिया गया है। जन्माष्टमी के सभी आयोजनों/कार्यक्रमों में योजनाबद्ध ढंग से पुलिस व्यवस्था किए जाने के साथ ही यातायात प्रबंधन के प्रभावी बंदोबस्त करने को कहा गया है।
- डीजीपी ने प्रमुख स्थानों पर सादे वस्त्रों में भी पुरूष व महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती का निर्देश दिया है। कहा है कि कहीं भी छोटी सी छोटी घटना को पूरी गंभीरता से लेकर त्वरित कार्रवाई की जाए।
- प्रमुख व संवेदनशील स्थानों पर ड्रोन कैमरों के जरिये भी सर्तक दृष्टि रखने के निर्देश दिये गए हैं। संदिग्ध व्यक्तियों पर कड़ी नजर रखने का निर्देश भी दिया गया है।
जेलों में धूमधाम से मनाई जायेगी जन्माष्टमी
कारागार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने आजादी के अमृत महोत्सव व रक्षाबंधन की तरह जेलों में जन्माष्टमी का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाने का निर्देश दिया है। कहा है कि भगवान कृष्ण का जन्म जेल में ही हुआ था इसलिए यह त्योहार जेल विभाग के लिए बहुत खास है। प्रजापति ने मंगलवार को कारागार मुख्यालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये जेल अधिकारियों को विस्तृत निर्देश दिए|
यूपी की जेलों में नए जेल मैनुअल का होगा पालन
सभी जेल अधीक्षकों को नए जेल मैनुअल के अनुरूप सभी बंदोबस्त सुनिश्चि कराने का निर्देश दिया।
जिन बंदियों की जमानत हो चुकी है और वे अर्थदंड न भर पाने की वजह से रिहा नहीं हो सके है उनकी स्वयंसेवा संस्थाओं की मदद से रिहाई कराने का प्रयास किया जाए। जिन बंदियों की पैरवी करने वाला कोई नहीं है जेल प्रशासन उनकी मदद के लिए भी विचार करे।