अधिक से अधिक गरीबों को आयुष्मान योजना से जोड़ने में जुटी सरकार

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डेस्क:आयुष्मान भारत योजना के तहत दो करोड़ गरीबों को मुफ्त और कैशलेस इलाज मुहैया कराने के बाद सरकार अधिक से अधिक गरीबों को इससे जोड़ने के अभियान में जुड़ गई है। योजना के तहत देश में केवल 12 करोड़ आयुष्मान कार्ड बने हैं जबकि इसके तहत लगभग 55 करोड़ लोगों को लाभ मिलना था।

आयुष्मान मित्र बनाने की आनलाइन प्रक्रिया की शुरुआत करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने अधिक से अधिक लोगों को इस योजना से जोड़ने की जरूरत पर बल दिया। नई प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर आयुष्मान मित्र बन सकता है। इसके बाद उसके इलाके के सभी लाभार्थियों की सूची उसे मिल जाएगी। आयुष्मान मित्र अपने इलाके के लाभार्थियों को योजना की जानकारी देकर उन्हें आयुष्मान कार्ड हासिल करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही नेशनल हेल्थ अथारिटी राज्य सरकारों के साथ मिलकर लाभार्थियों को खोजने का काम करेगी। नेशनल हेल्थ अथारिटी के सीईओ आरएस शर्मा ने कहा कि 2011 की आर्थिक-सामाजिक जनगणना के आधार पर तैयार सूची से लाभार्थियों को खोजना मुश्किल साबित हो रहा है। इसके लिए कोरोना की दूसरी लहर के पहले एक अभियान चलाया गया था जिसमें तीन करोड़ नए लाभार्थियों की पहचान की गई थी।

लाभार्थियों की पहचान के साथ-साथ नेशनल हेल्थ अथारिटी ने अब आयुष्मान कार्ड को डिजिटल के बजाय फिजिकल रूप में देना शुरू कर दिया है। फिजिकल रूप में आयुष्मान कार्ड गरीब व्यक्ति को अपने लाभार्थी होने का अहसास देगा। इसके अलावा लाभार्थी को अस्पताल में भर्ती कराते समय ही एक अधिकार पत्र दिया जाएगा जिसमें साफ-साफ लिखा होगा कि आयुष्मान भारत के तहत उसे पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज का अधिकार है। यहीं नहीं,इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी के समय एक अभिनंदन पत्र भी दिया जाएगा जिसमें इलाज का पूरा विवरण भी दिया होगा।

लाभार्थियों तक पहुंचने के साथ ही नेशनल हेल्थ अथारिटी ने अधिक से अधिक निजी अस्पतालों को इससे जोड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है। इसके लिए विभिन्न बीमारियों के इलाज पर आने वाले खर्च का नए सिरे से निर्धारण किया जा रहा है। अभी तक कई निजी अस्पताल यह कहकर आयुष्मान योजना में शामिल नहीं हो रहे थे कि विभिन्न बीमारियों के लिए रेट इतने कम रखे गए हैं जिस पर वे इलाज नहीं कर सकते। फिलहाल देश में लगभग 23 हजार अस्पताल आयुष्मान योजना से जुड़े हैं। इनमें 14 हजार सरकारी और नौ हजार निजी अस्पताल हैं।