राजकीय सम्मान के साथ डॉ० कैसर खां को दी अंतिम विदाई

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) गोवा मुक्ति आंदोलन के सेनानी डॉ० कैसर खां को पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द ए खाक किया गया| उनको अंतिम विदाई देनें हर व्यक्ति की आँखे नम थी|
शहर के मोहल्ला खटकपुरा सिद्दीकी में डा. कैसर अली खां के निधन के बाद उनके घर पर मिलने वालों का तांता लगा रहा| जिसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट अशोक कुमार मौर्य, शहर कोतवाल वेद प्रकाश पाण्डेय पुलिस की टुकड़ी के साथ खटकपुरा सिद्दीकी स्थित कब्रिस्तान पंहुचे| डॉ० कैसर खां को तिरंगा झंडा के साथ ही उनके कमुनिस्ट पार्टी का झंडा में लपेटा गया| इसके बाद उन्हें पुलिस नें सलामी दी| गोवा मुक्ति आन्दोलन के योद्धा को अंतिम विदाई देनें के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े| इसके बाद उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया|
उनके जिंदा रहते पिता ने किया था शोक सभा का आयोजन
दरअसल 1961 में जब गोवा मुक्ति आंदोलन हुआ उस समय जनपद से चार मतवाले गये थे| जिसमे बढ़पुर निवासी रामचन्द्र गुप्ता, खटकपुरा निवासी राधेश्याम शाक्य, खटकपुरा सिद्दीकी निवासी डॉ० कैसर खां  के नाम शामिल थे| गोवा आँदोलन के दौरान जब डॉ० कैसर खां वापस घर नही लौटे थे उनके पिता आगा खां पहलवान नें पटेल पार्क में शोक सभा अपने बेटे की मौत को मान लेनें के बाद की थी| लेकिन गोवा संग्राम उस सेनानी का कुछ भी ना बिगाड़ सका और वह फिर अपने घर जिंदा लौटा|
कई संस्थाओं में भी जुड़ा था डॉ० कैसर का नाम
डॉ० कैसर खां राष्ट्रीय एकीकरण समिति के सदस्य थे | फर्रुखाबाद महोत्सव के संस्थापक भी डॉ० कैसर खां ही थे|
डॉ० रामकृष्ण राजपूत लिखनें डॉ० कैसर पर पुस्तक
फर्रुखाबाद महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ० रामकृष्ण राजपूत डॉओ कैसर खां के सबसे करीबी व्यक्ति माने जाते थे| डॉ० रामकृष्ण राजपूत नें उनके निधन पर घर जाकर शोक सम्वेदना व्यक्त की और कहा जल्द डॉ० कैसर खां के नाम से एक पुस्तक लिखेंगे| डॉ० कैसर अपने पीछे पत्नी ताहिरा बेगम, दो पौत्र साहब खां और सैफ खां को छोड़ गये| तीन बेटियों का विवाह ह चुका है|