‘क्रांति’ की मशाल जलाने वाले शहीद आजाद को किया याद

CRIME FARRUKHABAD NEWS POLICE

फर्रुखाबाद:(नगर प्रतिनिधि) भारत माता के अमर सपूत चंद्रशेखर आजाद की तरह ही अमर शहीद प० रामनरायण आजाद भी आजादी के पतवाले थे। किशोरावस्था में ही भारत माता के जयघोष के साथ अंग्रेजों को ललकार दिया। गोरों पर फायरिंग कर थानेदार की हत्या कर दी। उनकी जयंती पर आजाद के आजाद विचारों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी|
दरअसल कोरोना काल के चलते निर्धारित संख्या में लोग शहर के साहबगंज चौराहा स्थित आवास पर एकत्रित हुए| उनके पुत्र बॉबी दुबे नें कहा कि देश प्रेम, वीरता और साहस के पर्याय अमर शहीद क्रांतिकारी पं.रामनारायण ‘आजाद’ को हर सिर सलाम करता है| 1930 के दशक में क्रांतिकारियों का आंदोलन पूरे देश में चरम पर था। अंग्रेजों के खुफिया विभाग ने आजाद को क्रांतिकारी घोषित कर दिया। कई जिलों के क्रांतिकारियों को वह अपने घर पर, गंगा किनारे ऐतिहासिक विश्रांतों व अन्य स्थानों पर ठहराने लगे। बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी ¨हदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य योगेश चंद्र चटर्जी का बंगाल में वारंट चल रहा था। सुभाष चंद्र बोस ने चटर्जी को रामनारायण ‘आजाद’ के पास फर्रुखाबाद भेज दिया। वह बम बनाने में माहिर थे।
आजाद ने अपने घर पर ही बम बनाने की जिम्मेदारी योगेश चंद्र चटर्जी को दे दी। उन्होंने अन्य क्रांतिकारियों को भी बम बनाने के कार्य में जोड़ लिया। राजा तिर्वा का खजाना भी लूटा। खजाने की धनराशि से ही क्रांतिकारियों को ठहराने के लिए स्वराज कुटीर भवन बना। 1926 में घर से गिरफ्तारी पर एक वर्ष व 1930 में नमक आंदोलन में दो वर्ष 6 माह सजा हुई। 1932 में 6 माह और फिर 1942 में वह चार साल नजरबंद रहे।
भारतीयों के दिल में परतंत्रता से मुक्ति का बीज बोकर वह स्वाधीनता से चार दिन पूर्व ही दुनिया से विदा ले गये। 10 अगस्त 1947 को उनके घर पर ही एक गद्दार ने सीने में गोली मार दी।  उनकी जयंती पर एकत्रित हुए सामाजिक लोगों नें आजाद के जीवन पर प्रकाश डाला| उन्होंने कहा कि आजाद के जीवन में झाँकने से नयी ऊर्जा का संचार होता है|
इस दौरान आदित्य दीक्षित, सपनिल रावत, पियूष दुबे, कुलभूषण श्रीवास्तव, रवी चौहान आदि रहे|