मढ़ी-गढ़ी और मीठे कुएं सब औंधे हो गए, एक ही रास्ता बचा घर का

FARRUKHABAD NEWS FEATURED POLICE जिला प्रशासन

फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए पूरा देश लॉक डाउन की स्थिति से गुजर रहा है। प्रदेशों की सीमाएं सील हैं। यातायात के सभी साधन बंद हैं। ऐसे में दिल्ली, मुंबई सहित अन्य प्रदेशों में रहने वाले अपने गांव जैसे-तैसे लौट रहे हैं। मौत के रास्ते में जिन्दगी की आस लिए एक पांच लोगों का परिवार एक ही साइकिल से सफर तय कर पंहुचा तो लोग देखते ही रह गये|
उसने बताया जहां काम करते थे, वे फैक्ट्रियां बंद हो गईं। जहां रहते थे वो घर छोड़ना पड़ा। गुलजार के शब्दों में कहे तो उनकी मढ़ी-गढ़ी और मीठे कुएं सब औंधे हो गए। एक ही रास्ता बचा घर का। जिसको जो साधन मिला, निकल पड़ा। काेई मीलों चला और मारा गया। किसी ने 350 किलोमीटर चलकर ठिकाना पा लिया। फिर भी कोरोना के कारण पलायन जारी है। ऐसा ही नजारा देखने को मिला|
नगर के लाल दरवाजे रोडबेज बस अड्डे पर निगाह एक परिवार पर पड़ी। पूछताछ में उसने अपना नाम 40 वर्षीय जयवीर सिंह निवासी नगला बिरजू मऊदरवाजा बताया साथ में उसकी पत्नी बबली भी थी| तीन बच्चे भी साइकिल पर सबार थे| जयवीर ने बताया कि वह दिल्ली के रोंहणी में मजदूरी करता था| लेकिन  क‌र्फ्यू के चलते उन्हें खाने के भी लाले पड़ गए थे, इसलिए उनके पास और कोई चारा नहीं था। जितना खाना था, वह खत्म हो गया था, काम बंद होने के चलते उनके पास जो पैसा था वह भी खत्म हो गया, इसलिए अब घर लौटना उनकी मजबूरी था। सड़कों पर कोई वाहन नहीं है, इसलिए वह साइकिल पर ही अपने घर के लिए निकल पड़े हैं। बीच रास्ते में जहां भी खाने की व्यवस्था हो, वहां पर खाना खाकर आगे के लिए निकल पड़ते हैं।पुलिस ने कराई जांच
इसके बाद रोडवेज अड्डे पर लगी स्वास्थ्य टीम से उसकी जांच करा उसे घर जाने दिया। पुलिस ने उसे समझाया कि घर पहुंच कर दरवाजे पर ही अपने सारे कपड़ों को उतार देना और उसे गर्म पानी कराकर उसमें डाल देना। खुद भी इसके बाद साबुन लगा कर नहा लेना फिर घर के अंदर जाना। पर इसका भी ध्यान देना की परिवार के सदस्यों से 14 दिन तक दूरी बनाकर रहना। ( सहयोगी प्रमोद द्विवेदी नगर प्रतिनिधि)