अब पैकिंग मैटीरियल के खिलाफ सरकार सख्त

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लखनऊ:पॉलीथिन के बाद अब पैकिंग मैटीरियल के खिलाफ सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। इस बार मल्टी नेशनल कंपनियों से लेकर घरेलू उद्योगों तक के उत्पाद से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे के खिलाफ कार्रवाई होने जा रही है। इन कंपनियों को प्लास्टिक वेस्ट निस्तारण का एक्शन प्लान देना होगा। यानी जितना कचरा इनके उत्पाद से निकलता है उतना कचरा इन्हें निस्तारित करना होगा। ऐसा न करने वालों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का जुर्माना लगाया जाएगा।
दरअसल, पॉलीथिन कैरीबैग के खिलाफ तो अभियान लगातार चल रहे हैं, लेकिन उत्पादों के पैकिंग मैटीरियल अब समस्या बन रहे हैं। बाजार में मल्टी नेशनल कंपनियों से लेकर घरेलू उद्योग तक सभी के उत्पाद पॉलीथिन में ही पैक होकर आते हैं। चिप्स, बिस्कुट, दालमोठ, नूडल्स सहित सभी खाद्य पदार्थों का यही हाल है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन कंपनियों से प्लास्टिक कचरा निस्तारण के लिए एक्शन प्लान देने को कहा है। इसके तहत कंपनियों को उतना प्लास्टिक कचरा निस्तारित करना होगा जितना उनके उत्पाद से निकल रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लान जांचने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है। इस समिति में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग अहमदाबाद, नगर विकास विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जोनल कार्यालय व उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल हैं।
इसमें यह देखा जाएगा कि कंपनियां किस तरह से कचरे से पॉलीथिन व पैकिंग मैटीरियल उठाती हैं और उनका निस्तारण किस तरह करती हैं। इसके लिए उन्होंने कौन सा तंत्र अपनाया है। कचरा उठाने के लिए कंपनियां नगर विकास विभाग का भी सहयोग ले सकती हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष तिवारी कहते हैं कि पहली बार बड़ी कंपनियों पर सख्ती की जा रही है। इन्हें प्लास्टिक कचरा निस्तारित कर प्रमाण पत्र बोर्ड को देना होगा।
इस तरह हो सकता है निस्तारित
प्लास्टिक कचरे से डीजल निर्माण, सड़क निर्माण में उपयोग, सीमेंट निर्माण में उपयोग, प्लास्टिक कचरे से ईट व टाइल्स आदि का निर्माण, प्लास्टिक कचरे से पाइप व अन्य सामान का निर्माण
कंपनियों को करना होगा ‘7आर’ का प्रयोग
पॉलीथिन व प्लास्टिक के खिलाफ कंपनियों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ‘7 आर’ का सिद्धांत अपनाना होगा। इसमें रिफ्यूज, रिड्यूज, रियूज, रिसाइकिल, रिडिजाइन, रिफर्बिश्ड व रिकवरी के सिद्धांत पर चलकर प्लास्टिक के उपयोग को कम करना हैं।