धर्म की रक्षा को शस्त्र और शास्त्र दोनों आवश्यक

FARRUKHABAD NEWS धार्मिक सामाजिक

फर्रुखाबाद: मनुष्यता और धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों की आवश्यकता होती है। हमारी सत्य सनातन परंपरा ही ‘परित्राणाय च साधुनाम, विनाशाय च दुष्कृताम’ का उद्घोष करती है। अधर्म तभी बलशाली होगा जब शस्त्र और शास्त्र दोनों कमजोर पड़ेंगे। इसलिए इनकी नित्य साधना आवश्यक है। भगवान राम ने अधर्म के प्रतीक रावण के विनाश के लिए शक्ति की उपासना की थी। इसके फलस्वरूप हमें विजयदशमी पर्व मनाने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह कथन नगर में जगह-जगह हुए शस्त्र पूजन के दौरान कही गयी|
नगर के मसेनी चौराहे के निकट संघ का शास्त्र पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया| जिसमे दशहरे के विषय में विस्तार से चर्चा की गयी| प्रांत बौद्धिक प्रमुख डॉ० अमर नें भी अपने विचार रखे| कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद नें की| डॉ० सुबोध वर्मा, स्वदेश गंगवार, सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी रहे| संचालन दिलीप कुमार नें किया|  अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा द्वारा शास्त्र पूजन का आयोजन किया गया|