नई दिल्ली:चुनावी मुहाने पर खड़ी सरकार स्कूली छात्रों के अभिभावकों को बजट में एक बड़ा तोहफा दे सकती है। इसके तहत उनकी बारहवीं तक पढ़ाई को मुफ्त किया जा सकता है। अभी यह पहली से आठवीं तक ही मुफ्त है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय इसे लेकर अपनी कवायद काफी पहले ही पूरी कर चुका है। राज्यों की ओर से भी इस दायरे को बढ़ाने की मांग लंबे समय से उठ रही है।
आरटीई के तहत अभी सिर्फ आठवीं तक शिक्षा ही है मुफ्त
ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार इस घोषणा से राज्यों के साथ उन मध्यवर्गीय परिवारों को भी खुश करने के लिए यह बड़ा दांव खेल सकती है, जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे है। सरकार का यह फैसला इन परिवारों को एक बड़ी राहत देगा। हालांकि सरकार को इसके लिए आरटीई एक्ट में बदलाव करना होगा। जिसके तहत कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने आठवीं तक की स्कूली शिक्षा को मुफ्त किया था।
यूपीए के समय में भी इसकी घोषणा 2009 में चुनावी मैदान में उतरने से पहले की गई थी। बाद में सरकार बनने के बाद यूपीए अगस्त 2009 में संसद में बिल लेकर आयी थी। सूत्रों की मानें तो एनडीए सरकार भी इसी तर्ज पर आरटीई एक्ट को विस्तार देने की यह घोषणा कर सकती है। वैसे भी स्कूली शिक्षा को मजबूती देने में जुटी एनडीए सरकार ने पिछले बजट में टुकडों में बंटी स्कूली शिक्षा को एक करके उसे समग्र शिक्षा नाम दिया था। इसके तहत सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और टीचर एजुकेशन को एक किया था। इसका फायदा भी देखने को मिला। इसके चलते स्कूलों को इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती पर जोर दिया गया। स्कूलों में खेलकूद और पुस्तकालयों को मजबूती दी गई। सूत्रों की मानें तो बजट में आरटीई एक्ट को विस्तार देने की उम्मीदें इसलिए भी है, क्योंकि राज्यों के साथ हुई कैब (सेंट्रल एजवाइजरी बोर्ड) की बैठक में सभी राज्यों ने एक सुर में इसकी मांग की थी। केंद्र ने भी इसे लेकर अपनी सैद्धांतिक सहमति दी थी।
हाल ही में मानव संसाधन मंत्रालय ने भी इसे लेकर अपनी तैयारी को अंतिम रुप दिया है। पिछले दिनों मंत्रालय ने अपनी इस तैयारी की जानकारी एक शिक्षाविद् की ओर से मांगी गई जानकारी में भी दी थी।