विश्व एड्स दिवस:जनपद में 581 एचआईवी के मरीज!

FARRUKHABAD NEWS FEATURED जिला प्रशासन

फ़र्रुखाबाद:विश्व एड्स दिवस पर पूरे जिले में इससे जागरूक करने का काम जिला प्रशासन कर रहा है| लेकिन उसके बाद भी एचआईबी के मरीजों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है| जाने अनजाने में लोग इस गम्भीर बीमारी का शिकार हो रहे है| जनपद के आंकड़ो पर यदि नजर डाले तो जिले में अब तक 581 एचआईवी के मरीज है| जिसका इलाज किया जा रहा है|
एड्स दिवस पर लोगों को जागरूककरने का काम किया जा रहा है| आम जनमानस को जानकारी दी जा रही है| इसके बाद भी डब्लूएचओ के आंकड़ो पर नजर डाले तो पता चलता है कि 2017 के आंकड़ों के अनुसार इस जानलेवा बीमारी से विश्व भर में लगभग 3 करोड़ 69 लाख लोग पीड़ित हैं। जबकि पूरी दुनिया में एचआईवी से हर वर्ष लगभग 10 लाख लोग केवल इस कारण मर जाते हैं क्योंकि उन्हे पता ही नहीं होता है कि वे एचआईवी से पीडि‌त हैं| और जब इलाज़ शुरु करते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है| असुरक्षित सेक्स के अलावा इस बीमारी के कई कारण हैं। एचआईवी संक्रमण की चपेट में आने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कई दिन या हफ्तों के बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं|
एचआईवी और एड्स
वास्तव में एचआईवी के तीन चरण हैं और एचआईवी का इलाज नहीं कराने पर कम से कम दस साल के अंदर व्यक्ति को एड्स हो सकता है। इसके पहले चरण से पहले व्यक्ति को दो से चार हफ्तों में एचआईवी के लक्षण महसूस होने लगते हैं जबकि पहले चरण में व्यक्ति को फ्लू थकान सर्दी और बुखार जैसे लक्षण महसूस होते हैं। दूसरे चरण में एचआईवी का इलाज शामिल है जहां पीड़ित के लक्षणों को दवाओं के जरिए दबाने की कोशिश की जाती है और एचआईवी की फैलने का कम खतरा होता है। तीसरा चरण वो है जिसमें कोई व्यक्ति एचआईवी की दवा नहीं ले रहा है यानी उसे एड्स का खतरा होता है।
सामान्य जीवन जी सकते हैं एचआईवी पीड़ित
आधुनिक चिकित्सा की वजह से एचआईवी से पीड़ित लोगों का सामान्य जीवन जीना काफी हद तक संभव हो गया है। एक रिपोर्ट के अनुसारए यूरोप और उत्तरी अमेरिकी में एचआईवी से पीड़ित पुरुष और महिलाएं का जीवन क्रमशः 73 और 76 है। अगर एचआईवी के साथ आपको टीबी इन्फेक्शन और कैंसर जैसे रोग नहीं हैए तो आप सामान्य उपचार के साथ बेहतर जीवन जी सकते हैं।
एचआईवी का इलाज !
वैज्ञानिकों ने एचआईवी के इलाज में काफी प्रगति की है। लेकिन प्रगति के बावजूदए अभी भी इसका कोई सम्पूर्ण इलाज नहीं है। साल 2016 मेंए संयुक्त राष्ट्र ने नए लक्ष्यों की घोषणा की गयी जिसके तहत 2030 तक एचआईवी महामारी को खत्म करने का लक्ष्य है। इन लक्ष्यों में उपचार के लिए ज्यादा लोगों को शामिल करनाए रोकथाम में तेजी लाना और बच्चों के बीच नए एचआईवी संक्रमण को रोकना शामिल है।
जिले के आवास विकास स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में तैनात एचआईवी परामर्शदाता नीतू ने बताया कि जिले में 2002 से अब तक 544 एचआईवी के मामले सामने आ चुके हैं वही इस वर्ष अप्रैल 2018 से अब तक 5622 लोगो की जांच में 37 नये एचआईवी से पीडि‌त मरीज़ मिले हैं| जिनका इलाज़ कानपुर मेडिकल कालेज से चल रहा है|