36 घंटे की कठिन साधना के बाद उदीयमान सूर्य को दिया अ‌र्घ्य

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फर्रुखाबाद:छठ का व्रत धारण करने वाली महिलाओं में बुधवार की सुबह उदीयमान सूर्य के लिए जबर्दस्त जुनून दिखा। पहली किरण धरती पर पड़ते ही व्रती महिलाओं ने भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य दिया और विधिपूर्वक छठ पूजा को संपन्न किया। व्रती महिलाओं ने लगभग 36 घंटे बाद व्रत का पारण किया। इसके बाद महिलाओं एवं उनके परिजनों ने प्रसाद वितरण किया।
छठ पर्व पर बुधवार को फतेहगढ़ के किला घाट पर पूजा करने वालों का हुजूम उमड़ा। मध्यरात्रि के बाद से ही पूजा के लिए घाट लोगों के जाने का क्रम शुरू हो गया। भोर में झुंड व समूह में जा रही महिलाओं के गीतों से एक अलग माहौल बन रहा था। अंधेरे वातावरण में गंगा किनारे जल रहे दीपकों के प्रतिबिम्ब जल में दिखने से एक अलग छटा दिखाई पड़ रही थी। प्रात:काल ठंडे वातावरण में कष्टी साधना करने वाली व्रती महिलाएं गंगा के जल में आधे से अधिक खड़ी होकर भगवान भास्कर के ध्यान में तल्लीन दिखाई पड़ीं। ठंड के कारण कई महिलाएं कांपती भी नजर आई। पूजा-आराधना व गीतों के माध्यम से व्रती महिलाएं दीनानाथ के उदीयमान होने की प्रतीक्षा कर रही थी। कुछ क्षण ऐसा महसूस हो रहा था कि रोज की तुलना में सूर्योदय होने में जैसे विलंब हो रहा हो। आखिर वह घड़ी भी आई जब पूरब दिशा के नीले आसमान में सूर्यदेव की लालिमा दिखी।
पूजा में बैठी महिलाएं व उनके साथ के लोग हरकत में आ गए और स्नान के बाद जैसे ही सूर्यदेव आसमान में दिखाई पडे़ हाथ में प्रसाद भरे सूप लेकर अ‌र्घ्य देने के लिए तैयार हो गई। उनके साथ के पुरुष अथवा स्त्री सहयोगियों द्वारा गाय के दूध से अ‌र्घ्य दिया जाने लगा। अ‌र्घ्य के बाद जब व्रती महिलाओं ने अपने वस्त्र बदले तो उनके बदन से छूटे वस्त्रों को लेकर अन्य लोग सिर व माथे लगा रहे थे।
करीब डेढ़ से दो घण्टे तक गंगा के ठंडे जल में खड़े रहकर आराधना करते हुए व्रतियों का चेहरा ठीक 6 बजकर 20 मिनट पर खिल उठा। जब पूरब में लालिमा युक्त सूर्यदेव की किरणें दिखलाई पड़ीं। व्रती महिलाओं ने बुधवार की भोर बेला में भगवान दिनकर को अ‌र्घ्य देकर व्रत का पारण किया।