अलबेंडाजोल खाने के बाद फतेहपुर में जुड़वां बच्चियों की मौत

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लखनऊ:फतेहपुर में कृमिनाशक दवा अलबेंडाजोल खाने के बाद उल्टी-दस्त से पांच वर्षीय दो जुड़वां बहनों की मौत हो गई। इसके बाद दवा खा चुके कई बच्चों के अभिभावक दहशत में उन्हें अस्पताल लेकर पहुंच गए। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को दवा खिलाए जाने के बाद महोबा, फर्रुखाबाद, फैजाबाद समेत कई जिलों में बच्चों के बीमार होने की सूचना मिली थी लेकिन किसी बच्चे को जान का खतरा नहीं दिखा। ज्यादातर जिलों का चिकित्साधिकारियों ने भी दवा के हर तरह से सुरक्षित होने का दावा किया है।
साइड इफेक्ट बहुत पर दवा सुरक्षित
विभिन्न जिलों के चिकित्सा अधिकारियों के मुताबिक स्कूलों में शिक्षक दवाएं खिलाते है। यह संभव नहीं है कि हर विद्यालय में डाक्टर की ड्यूटी लगाई जाए। दवा खिलाने के बाद जिन बच्चों के पेट मे कृमि होती है उन्हें थोड़ी बेचैनी होती है। खाली पेट एल्बेंडाजोल खाने से बच्चों को चक्कर आने लगते हैं। इसमें कोई गंभीर बात नहीं है। आम तौर पर चिकित्सकों के मुताबिक एल्बेंडाजोल टैबलेट के इस्तेमाल से पेट दर्द, उल्टी, कब्ज़, सिर दर्द, सुस्ती, चक्कर आना, मिचली जैसे कई सारे साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। लेकिन यह साइड इफेक्ट्स हमेशा महसूस होने वाले नहीं होते हैं। इस तरह के साइड इफेक्ट्स महसूस होने पर चिकित्सक की सलाह जरूरी है।
दो बच्चियों की मौत पर दवा और दावे
फतेहपुर में 6.50 लाख बच्चों को कृमिनाशक दवा (अलबेंडाजोल) खिलाई गई थी। कल्ला सिंह सरस्वती बाल मंदिर स्कूल में पढऩे वाली खजुहा ब्लाक के मडरांव गांव के सुधीर पाल की करीब पांच वर्षीय जुड़वां बेटियों सृष्टि व श्रेया को भी अलबेंडाजोल दवा दी गई। बच्चियों की मां आरती ने बताया कि बेटियां जब स्कूल से लौटीं तो उनकी हालत बिगडऩे लगी। घबराहट, उल्टी-दस्त शुरू हो गए। शुक्रवार देर रात श्रेया की मौत हो गई। शनिवार सुबह दूसरी बेटी सृष्टि को जिला अस्पताल लाए जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। परिजन ने बिना पोस्टमार्टम कराए दोनों बच्चियों का अंतिम संस्कार कर दिया। इस बीच जानकारी पर स्वास्थ्य टीम ने गांव पहुंचकर पड़ताल की। सीएमओ डॉ. एके अग्रवाल और एसडीएम सुशील कुमार भी जांच के लिए पहुंचे।
वहां सीएमओ ने बच्चियों की मां से बातचीत के बाद दावा किया कि बच्चियों को दवा ही नहीं दी गई थी क्योंकि वह पांच वर्ष से कम उम्र की थीं। वैसे भी अलबेंडाजोल सुरक्षित दवा है, इससे किसी की जान नहीं जा सकती है। दवा निर्माण में रिसर्च से भी यह साबित है। जिले में 6.50 लाख बच्चों को दवा दी गई, किसी को कोई खतरा नहीं हुआ। जिले में एक भी एक्सपायरी डेट की दवा का वितरण नहीं हुआ। इसी बीच एक अन्य महिला ने बच्चे की तबियत खराब होने की बात कही तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कि संक्रामक बीमारियों की जद में बच्चे आ गए हों। उन्हें उबालकर पानी पिलाएं और ताजा भोजन ही दें। विद्यालय प्रबंधक युवराज सिंह ने कहा कि सरकारी व्यवस्था के तहत बच्चों को दवा खिलाई गई थी। विद्यालय में किसी की तबियत नहीं खराब हुई।