फर्रुखाबाद: सियासी धमाचौकड़ी समाप्त होने के बाद सट्टेबाजी का बाजार गर्म हो गया है। जिले में कई जगह प्रत्याशी के जीत-हार पर दांव लग चुका है। सियासी सट्टे में लाखों रुपए की बाजी लगी है। हर प्रत्याशी पर मतदान की चर्चा के आधार पर पैसा लगा है। इस सट्टे में शहर के कुछ युवा नामचीन लोगो ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। बीते 19 फरवरी को ही जिले में मतदान हुआ है |
सट्टेबाजों को मौका मिलना चाहिए वे दांव लगाने में पीछे नहीं रहते। शहर और गांव के कुछ बड़े बाजारों में यह स्थिति ज्यादा ही है। अभी 19 फरवरी को ही जिले में मतदान हुआ है। सारी ईवीएम स्ट्रांग रूम में जमा है। कौन जीतेगा और कौन हारेगा यकीन के साथ यह कह पाना काफी मुश्किल है। सट्टा बाजार में यह कमाई का जरिया बन गया है। कांग्रेस प्लस सपा ,भाजपा और बसपा प्रत्याशी की जीत-हार को लेकर दांव लग चुका है। शहर के रेलवे स्टेशन रोड, नेहरु रोड सहित कई जगह तगड़ा दांव लगने की चर्चा है। सट्टेबाजों ने यहां सिर्फ दो लोगों पर दांव लगाया गया है। दांव लगाने वालो ने सदर सीट व विधानसभा अमृतपुर, विधान सभा भोजपुर, कायमगंज विधान सभा पर अपने-अपने प्रत्याशी पर दांव लगाया है। प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की जीत पर लाखों रुपये का सट्टा लगाया गया है। सर्वाधिक दांव बीजेपी पर लग रहा है| सूत्र बताते हैं कि एक-एक प्रत्याशी के ऊपर कई लोगों ने पैसा लगाया है। सट्टे पर लगा दांव का पैसा दोनों पक्षोंके विश्वसनीय व्यक्ति के पास जमा है।
11 मार्च को मतगणना के बाद जीत-हार का मामला पता चलेगा। तय हुआ है कि परिणाम आने के दो घंटे बाद जीतने वाले प्रत्याशी पर सट्टा लगाने वाली टीम को हारने वाले उम्मीदवार के पक्ष के लोगों का पैसा मिल जाएगा। बताया जा रहा है कि यह सियासी सट्टा जिले के बड़े बाजार में भी लगा है। सट्टाबाजार में किसका दांव सटीक बैठता है अब यह आने वाला समय ही तय करेगा। फिलहाल सट्टेबाज रोज मतदान के दौरान माहौल और मत प्रतिशत को लेकर प्रत्याशियों के जीतहार का आंकलन करने में जुटे हैं। इस बाबत पुलिस अधिकारीयों का कहना है की हो सकता है कोई चोरी चुपके हार जीत का सट्टा लगा रहा हो लेकिन ऐसा कोई भी मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। यदि आया तो कार्यवाही की जायेगी|
हार- जीत का गुणा भाग कर रहे प्रत्याशी और समर्थक
विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद थकान मिटा रहे प्रत्याशी और उनके समर्थक अब हार जीत का गुणा भाग लगाने में व्यस्त हैं। कौन सी बिरादरी का किसे समर्थन मिला और कौन सी बिरादरी उनके साथ रही। इन बातों पर मंथन करने के बाद समर्थक अपने प्रत्याशी की जीत पक्की मानकर चल रहे हैं।
जिले के मतदाताओं ने 19 फरवरी को अपने मताधिकार का प्रयोग कर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला किया। चुनाव संपन्न होने के बाद से ही प्रत्याशी एकांतवास में पहुंच गए। वे बंद कमरों में अपने करीबियों के साथ संपन्न हुए मतदान को लेकर सुबह से शाम तक चाय की चुस्कियों के बीच मंथन करने में जुटे हैं। सूत्रों की मानें तो हार जीत की चर्चा के दौरान इस बात पर खास जोर दिया जा रहा है कि कौन सी बिरादरी ने किस प्रत्याशी को अधिक प्रतिशत में मत दिया है। इससे किसे नुकसान होगा और किसे फायदा। गुणा भाग करने के बाद प्रमुख दलों के प्रत्याशी खुद को जीता हुआ मान रहे हैं।
चुनाव परिणाम जानने के लिए व्याकुल प्रत्याशियों ने अपने खास सिपहसालारों को बुला लिया था। वहां से वापस होने के बाद सिपहसालार समर्थकों के साथ बैठकर जीत हार पर चर्चा करने में जुटे हैं। खास बात यह है कि शहर व ग्रामीण अंचल के अधिकांश मतदाताओं ने चुनाव संपन्न होने के बाद भी चुप्पी साध रखी है जबकि समर्थक अपने तर्कों से बाजारों व कस्बों में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को जीता बता रहे हैं।