जन्माष्टमी पर मंदिरों में तैयारी अंतिम चरण में

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JILAJAIL1KASTURVA12फर्रुखाबाद: कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों में पहले से ही तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। सेवादार सजावट व अनेकों प्रकार की कार्यो को अंतिम रूप देने में जुटे है। वही कई अन्य जगहों पर सजीव झांकी का चित्रण भी किया गया|

जनपद के सभी मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों व फूलों से सजाने का काम तेजी से चल रहा है। जन्माष्टमी के नजदीक होने के कारण प्रतिदिन मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण व राधा की मूर्तियों को दूध से स्नान करा विशेष रुप से भगवान कृष्ण की प्रतिमाओं का मनमोहक श्रृंगार किया जा रहा है। कृष्ण जन्मोत्सव पर उनके बाल रूप की बड़ी मान्यता है, यहां तक की बाजारों में श्रीकृष्ण के बाल रूप के लिए विशेष झूलों का प्रबंध किया जाता है। वहीं जन्माष्टमी को लेकर बाजारों में भी चहल-पहल देखने को मिल रही है, राधा-कृष्ण की पोशाक की मांग तेजी से बढ़ रही है। मंदिरों व शिवालयों पर रंग-रोगन, सफाई व सजावट का कार्य जोरों पर चल रहा हैं।

कंपिल में सभी मंदिर में झांकी सजाने का कार्य जोरो पर है| रामेश्वरनाथ मंदिर कारीगरों के द्वारा बनायी जा रही जिला कारागार लोगो के आकर्षण का केंद्र बनेगी| वही राजेपुर के कस्तूरबा गाँधी विधालय में छात्राओ ने सजीब चित्रण किया गया| मंदिरो के पुजारी मंदिर की सफाई, सजावट व मंदिर का कोना-कोना आकर्षण का केंद्र दिखाने के प्रयास में दिन-रात कार्य प्रगति पर है। 25 अगस्त तक झांकी सज जाएगी और कान्हा से जुड़े अलग- प्रसंग दिखाये जाने की तैयारी है।सेंट्रल जेल में भी इस बार कैदियों के द्वारा झांकी का सजीब चित्रण है |

बाजारों में रौनक
बाजारों में बुधवार को रौनक देखने को मिली, जहां छह महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों की रंग बिरंगी राधा-कृष्ण की मनमोहक पोशाक बाजारों में खूब बिक रही हैं। स्कूलों व अन्य स्थानों पर आयोजनों को लेकर तैयारियां हो रही हैं। बच्चों को राधा कृष्ण के परिधान खरीदे जा रहे हैं। मंहगाई का असर जन्माष्टमी के त्योहार को फीका नहीं कर पाया और खिलौने व सजावट के सामान की दुकाने गुलजार रहीं।

बाल लीलाओं से मनोरम छटा बिखेरेंगे कान्हा
कान्हा की बाल लीलाओं से मनोरम छटा बिखेरेने के लिए दूर दराज के शहरों से भी आर्ट कलाकार आए हुए हैं। कृष्ण जन्माष्टमी में भक्तों को कृष्ण की बाल लीला के साथ ही उनसे जुड़े तमाम प्रसंग बखूबी देखने को मिलेंगे। इसके लिए अधिकांश तैयारियां हो गईं हैं। मंदिरों में कान्हा के आगमन के लिए झांकी के साथ ही लोक गायन, मयूर नृत्य और अन्य सांस्कृतिक आयोजन होने हैं।