फर्रुखाबाद: गाँवो में एक कहावत है कि घर में पिसे पिसनारी, अम्मा दीवान जी का पिसे| यह कहावत वर्तमान पालिका अध्यक्ष वत्सला अग्रवाल के पति पूर्व पालिका अध्यक्ष और पूर्व एमएलसी मनोज अग्रवाल पर सटीक बैठती है| जिस समय मनोज अग्रवाल एमएलसी रहे उन्होंने वर्तमान सांसद मुकेश राजपूत के विधालय को आठ नये कमरे लैब बनाने के लिये लाखो का बजट पास कर दिया| जबकि उनकी पत्नी के अधीन चल रहे म्युनिसिपल इंटर कालेज की लैब में कुन्तलो धुल के आलावा कुछ नही| महीनों तो लैब खुलती ही नही| इसका सीधा असर बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है| एमआईसी पाई-पाई को तरस रहा है|
नगर पालिका के संरक्षण में चल रहा फतेहगढ़ स्थित एमआईसी कालेज की दुर्दशा और क्या होगी की उसको या तो बजट मिला ही नही या फिर मिला तो वह नगर पालिका का भोजन बन गया| एमआईसी में अन्दर प्रवेश करते ही पीछे की तरफ एक कमरे में लैब बनी है| जिसमे प्रयोगशाला में प्रयोग होने वाले उपकरण कई दशक पुराने और टूटे पड़े है| एक भी कुर्सी आदि भी छात्रों के बैठने और उनके अध्ययन करने के लिये नही है| लैब में प्रयोग होने वाले जारो में कैमिकल की जगल मिट्टी भरी हुई है| देखने से यह बड़े आराम से अंदाजा लगाया जा सकता है की नगर पालिका अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी किस हद तक निभा रही है|
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बसपा से एमएलसी रहने के दौरान मनोज अग्रवाल ने बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत के तहसील से चिलसरा मार्ग पर बने इंटर कालेज को दो किस्तों में 18से 20 लाख रुपये का बजट केबल लैब बनाने के लिये ही जारी किया गया| जिसमे आठ बड़े कमरों का निर्माण वर्तमान में किया जा रहा है| कालेज के प्रधानाचार्य ने बताया की कमरे तैयार होने के बाद तीन कमरों में प्रयोगशाला बनेगी और अन्य कमरे शिक्षण कार्य के लिये प्रयोग किये जायेगे|
सबाल यह खड़ा होता है जब तत्कालीन एमएलसी मनोज अग्रवाल ने सांसद के विधालय को लाखो रुपये की धनराशि मंजूर कर दी| तो उनकी पत्नी यानी नगर पालिका अध्यक्ष वत्सला अग्रवाल के देखरेख में चल रहे एमआईसी कालेज के लिये फूटी कौड़ी क्यों नही दी गयी| एमआईसी की लैब बदहाली के आंसू रो रही है| लेकिन उसे कोई देखने वाला नही है| जुलाई में होने वाले दाखिले के बाद छात्र क्या शिक्षा लेंगे इस का जबाब किसी के पास नही| अभी जिला प्रशासन भी मौन है|