घर घर जाकर एक जून से होगी आर्थिक गणना, प्रशिक्षण न होने पर डीएम खफा

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फर्रुखाबाद: पहली जून से शुरू होने वाली छठवीं आर्थिक गणना के दायरे में आने वालों को सूचीबद्ध करने के अभियान की रूपरेखा मंगलवार को कोल्लेक्ट्रेट सभागार में तैयार हुई। इस मौके पर मौजूद जिलाधिकारी पवन कुमार ने छठवीं आर्थिक गणना को राष्ट्रीय अभियान बताते हुए जरुरी दिशा निर्देश दिए। गणना कर्मियों का अभी तक प्रशिक्षण न होने पर डीएम ने रोष व्यक्त करते हुए तत्काल ड्यूटी लगाने एवं दो दिन के अन्दर प्रशिक्षण शुरू करने के आदेश दिए|

ये आंकड़े भविष्य की योजनाओं का आधार बनेगा। इसमें गलत सूचना देना और गलत सूचना भरना, दोनों ही दंडनीय अपराध है। प्रगणक सभी मकान का दौरा करेंगे। इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि कोई उद्यम छूटने न पाए। जिलाधिकारी ने पहली जून से शुरू होने वाली छठवीं आर्थिक गणना के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि आर्थिक गणना देश की भौगोलिक सीमाओं में स्थित समस्त उद्यमों व इकाइयों की संपूर्ण गणना है। एक से अधिक क्रियाकलाप वाले उद्यम जैसे किराने की दुकान, जहां एसटीडी व पीसीओ की सुविधाएं भी ग्राहकों को प्राप्त होती हैं। ये सूचीबद्ध होंगे। जिन व्यक्तियों को आर्थिक गणना में सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा, उनमें विदेशी नागरिकों के परिवार, सेना या अ‌र्द्ध सैनिक छावनियां भी शामिल हैं। घुमक्कड़ परिवार अर्थात जिनके पास कोई सामान्य आवास नहीं है, खुले स्थान में, सड़क के किनारे, फर्श पर व पुलों के नीचे रहते हैं। इसी क्रम में यह भी बताया गया कि अनाथालयों एवं नारी निकेतन के एकल परिवारों को सूचीबद्ध नहीं किया जाना है, परंतु ऐसे स्थानों के परिसर में स्थित आवासीय स्टॉफ क्वार्टरों में निवासरत परिवार को सूचीबद्ध किया जाएगा।

देश में हर पांच वर्ष में आर्थिक गणना होती है। इस तरह से यह छठवीं आर्थिक गणना है। आर्थिक गणना के तहत हर ऐसी संस्था को चिन्हित करना है, जिसमें आठ या आठ से अधिक व्यक्ति काम कर रहे हों। हालांकि इस बार की आर्थिक गणना में आइसक्रीम और केला बेचने वाले तक को चिन्हित करने का निर्देश है। आर्थिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए बनने जा रही अगली नीति में इस रिपोर्ट का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
न काम आयेगी आरटीआइ

सांख्यिकी संग्रहण कानून बन गया है। ऐसे में आर्थिक गणना में जिन व्यक्तियों के बारे में आंकड़ा एकत्र किया जाएगा, उनकी जानकारी को बेहद गुप्त रखा जाएगा। इसकी जानकारी आरटीआइ एक्ट के तहत भी नहीं ली जा सकती है।

मिलेगा पांच हजार

एक प्रगणक पर सरकार पांच हजार खर्च करेगी। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी बतौर प्रगणक लगाया जाएगा। शिक्षा मित्र और रोजगार सेवक भी गणना करेंगे|

बेरोजगारों को भी मिलेगा रोजगार का मौका
अगर आपके घर भत्ता पा रहे बेरोजगार आर्थिक गणना की जानकारी लेने पहुंचे तो चौंकिएगा मत। उन्हें छठवीं आर्थिक गणना में शामिल कर रोजगार देने की पहल शुरु हो रही है। हालाँकि जनपद फर्रुखाबाद में अभी बेरोजगारों को मौका नहीं दिया जा रहा है। सरकारी काम में लापरवाही न हो इसके लिए उनके शैक्षणिक प्रपत्र बतौर गारंटी जमा रहेंगे।

बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने की शुरु हो रही यह पहल मील का पत्थर साबित हो सकती है। अगर प्रयोग सफल रहा तो न सिर्फ कर्मचारियों की तंगी दूर होगी बल्कि काम के प्रति उनकी ललक भी बढ़ेगी। वहीं काम सीखने का अवसर भी मिलेगा। साथ ही भत्ते के अलावा मानदेय के रुप में मिलने वाली धनराशि का दोहरा लाभ मिलेगा। कर्मचारियों की कमी होने पर बेरोजगारों से काम कराये जाने का प्राविधान है| इन्हें प्रगणक की जिम्मेदारी सौपी जा सकती है। यह घर-घर पहुंच परिवार की आर्थिक व व्यवसायिक स्थित का ब्यौरा लेकर दर्ज करेंगे। इस काम के लिए प्रति प्रगणक खंड का नगरीय क्षेत्र में 21 सौ रुपए व ग्रामीण क्षेत्र में 15 सौ रुपए के हिसाब से मिलेगा। एक माह में प्रत्येक प्रगणक को तीन प्रगणक खंडों में काम करना है। आर्थिक गणना करा रहा अर्थ एवं सांख्यकीय विभाग ने काम में लापरवाही न हो इसके लिए बतौर गारंटी उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा करा लिए जाने का भी प्राविधान है|

आर्थिक विकास की योजनायें बनती है इस गणना से-
आर्थिक गणना के आधार पर भारत सरकार विकास, जनकल्याणकारी कार्यक्रमों का नया खाका तैयार करेगी।

इस बार शिक्षक रखे गए मुक्त

आर्थिक गणना के कार्यक्रम में यह पहला मौका है जब इसमें शिक्षकों की ड्यूटी नहीं लगेगी बल्कि विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों को लगाकर गणना कार्य पूरा कराया जाएगा। कर्मचारी कम पड़े तो शिक्षकों से कार्य न लेकर बेरोजगार नवयुवकों की सेवा ली जाएगी जिसमें मानदेय के रूप में युवक को 1500 रुपए माह में दिए जाएंगे।

छठवीं आर्थिक गणना में घुमक्कड़ व विदेशी नागरिक, रेलवे प्लेटफार्म व सड़क किनारे रहने वाले लोगों को इसमें सम्मलित नहीं किया जाएगा। इस गणना में वहीं लोग शामिल होंगे, जो यहां के बाशिंदे है और उनका निजी आवास है। इस जनगणना में अगर किसी किसान के पास भैंस है, तो उसकी गणना नहीं की जाएगी। वह कृषि उद्यम क्षेत्र में शामिल हो जाता है।