बीमारियों से जूझ रहे सेन्ट्रल जेल के आठ सैकड़ा बुजुर्ग कैदी!

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फर्रुखाबाद: (दीपक शुक्ला) एशिया की सबसे बड़ी जेल केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ में बंदी रक्षकों की कमी तो हमेशा से ही रही है। इसके साथ ही साथ जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों को समुचित उपचार चिकित्सकों की तैनाती न होने पर समय से नहीं मिल पा रहा है। जिससे आये दिन बुजुर्ग कैदी या तो लोहिया अस्पताल में या फिर जेल की सलाखों के पीछे बने अस्पताल में दम तोड़ रहे हैं। बीते 20 घंटे के भीतर सेंट्रल जेल के तीन बुजुर्ग कैदी दम तोड़ चुके है| एक लोहिया अस्पताल में भर्ती है| आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो केन्द्रीय कारागार में कुल 2300 कैदी विभिन्न मामलों में सजा काट रहे हैं। जो जेब से मजबूत है उसको हर सुविधा उपलब्ध हो रही है और आम कैदियों को आम तो छोड़िये गुठली तक नसीब नहीं हो रही है।

सेन्ट्रल जेल में कुल 800 बुजुर्ग कैदी सजा काट रहे हैं। जिनकी उम्र 60 वर्ष से ऊपर है। इसमें से अधिकतर सांस, आंखों, कमर, घुटनों, दिल से सम्बंधित बीमारियों से लड़ रहे हैं। इसकी मुख्य बजह यह है कि जेल में चिकित्सकों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जेल में तीन चिकित्सकों के पद हैं। जिसमें से महज एक ही चिकित्सक तैनात है। चार फार्मासिस्टों के पद हैं जिसमें से मात्र एक फार्मासिस्ट शैलेन्द्र सिंह की तैनाती है। पहले कैदी बीमार होने पर जेल के अस्पताल में दाखिल किया जाता है उसके बाद उसे लोहिया अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है। बीते दिन ही 60 वर्षीय शशी प्रताप सिंह निवासी भरखा राजेपुर को बीती रात 7 बजकर 30 मिनट पर लोहिया अस्पताल में सीने में दर्द की समस्या के चलते भर्ती किया गया है। लेकिन अस्पताल में समुचित चिकित्सक न होने के कारण उसका भी उपचार काम चलाऊ ही चल रहा है।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीपी त्रिपाठी का कहना है कि जेल में सभी बुजुर्ग कैदी बीमार नहीं हैं। केवल 5 प्रतिशत ही बंदी विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हैं। जिनका उपचार कराने का पूरा प्रयास जेल प्रशासन की तरफ से किया जाता है। गंभीर होने पर उन्हें कानपुर भी भेजा जाता है।