हुसैन हमसे जुदा हो गया, ताजिये पुलिस लाइन करबला में दफन

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फर्रुखाबाद|| आज हमारा हुसैन हम से जुदा हो गया, आज हमारा इमाम हम पे फिदा हो गया.. करबला में ताजिया सुपुर्द करने जा रहे हुसैन के शैदाइयों की जुबां पर कुछ यही अशआर थे। सोगवारों ने जंजीरी मातम में बदन लहूलुहान कर लिया पर या अली! या अब्बास! या हुसैन! की सदायें बुलंद होती रहीं। दिल दहलाने वाले खूनी मातम में जहां हुसैनियत जिंदाबाद! और यजीदियत मुर्दाबाद! के नारे लगे, वहीं नौहा ख्वानी में हुसैनियों ने दोहराया- खूने शहीदे कर्बला रंग लायेगा, जुल्म की बुनियाद ढा जायेगा।

यौमे आशूरा के दिन शहर के सभी रास्ते जैसे कर्बला की ओर मुड़ गये। सुबह से लोगों का ताजियों को लेकर कर्बला पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। नवाब दिलावर जंग, चिलपुरा, गढ़ी अब्दुल मजीद, खटकपुरा, तकिया नशरत शाह, बूरावाली गली, नखास, मनिहारी मोहल्लों के सैकड़ों छोटे-बड़े ताजिये फातिहा के साथ कर्बला में सुपुर्दे खाक कर दिये गये।

दसवीं मोहर्रम के कारण सुबह से ही गमगीन माहौल था। सर्दी के कारण धूप भी गुनगुनी नहीं लग रही थी, पर लोग ताजिये को अकीदत के साथ करबला की ओर निकल पड़े। हुसैन का दामन न छोड़ेंगे, अली का दामन न छोड़ेंगे की सदाओं से करबला का रास्ता गूंजता रहा। ताजिया ले जाने वालों में पांच साल का अयाजुद्दीन था तो 70 साल के रहमत भी। तकिया नशरत शाह और भीकमपुरा के जौं (हालों) के ताजिये और गढ़ी अब्दुल मजीद और नखास के जरी-जरदोजी के ताजिये भी करबला ले जाये गये।

मेंहदीबाग के इमामबाड़ा दरे जैनबिया से शुरू हुए अलम जुलूस में सीनाजनी के साथ खूनी मातम हुआ। घुमना, मित्तूकूंचा, चौक, पक्कापुल, तिकोना और टाउनहाल तिराहे पर सोगवारों ने ब्लेड और जंजीरों से मातम से किया। मातमदारों के शरीर से खून छलकता रहा। उस पर गुलाब जल छिड़कने की व्यवस्था थी। परचमे अब्बास ऊंचा करते हुए लोगों ने कहा – परचमे अब्बास जब लहरायेगा, हर तरफ बू-ए-वफा फैलायेगा। चौक पर तकरीर करते हुए मौलाना सैयद हुसैन आजमी ने कहा कि नवी-ए-करीम के प्यारे नवासे ने कर्बला की जमीन को दुनिया वालों के लिए मिसाल बना दिया। कयामत तक करबला के शहीद याद किये जायेंगे। रहती दुनिया तक यजीद को गिरी नजर से देखा जायेगा। हुसैन और हुसैन वाले हमेशा यह पैगाम देते रहेंगे कि जुल्म की नहीं मजलूमियत की जीत होती है।

जिला कांग्रेस अध्यक्ष आफताब हुसैन, नफीस हुसैन, मौलाना सदाकत हुसैन, गुलशेर ईरानी, अकरम हैदर, गुलाम अली, सलीम हैदर, शादाब जैदी, फरहत अली जैदी आदि थे।