सर्व शिक्षा अभियान: 11902 शौचालयों के 2856 लाख हजम कर गए प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारी

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एक ओर उत्तर प्रदेश का सरकारी अमला सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूल चलो अभियान का नाटक कर रहा है, रैलियां निकाली जा रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर सूचना के अधिकार से हुए एक खुलासे ने इन अधिकारियों के घिनौने चेहरों को उजागर कर दिया हैl

*सर्व शिक्षा अभियान में उत्तर प्रदेश में 2856 लाख का शौचालय घोटाला
*भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक लागत 24 हज़ार रूपए का शौचालय 2 लाख 9 हज़ार से भी अधिक में बना
*अकेले आगरा जिले को दे दिया 60 प्रतिशत से ज्यादा पैसा
*40 प्रतिशत से कम में निपटे प्रदेश के बाकी जिले

उत्तर प्रदेश शासन के बेसिक शिक्षा विभाग से सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत 10-10-12 को आरटीआई एक्टिगविस्टे उर्वशी शर्मा ने वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2011-12 तक इससे सम्बंधित सूचना मांगी थीl सूचना न मिलने पर 01-12-12 को उत्तर प्रदेश शासनGHOTALA के बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को अपील भेजीl अपील के बाद सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की जनसूचना अधिकारी ममता अग्रवाल के तीन पेज पत्र संख्या 4720 दिनांक 11-01-13 और सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी साधना श्रीवास्तव के तीन पेज पत्र संख्या 4113 दिनांक 07-12-12 से चौंकाने बाले तथ्य सामने आये हैं।
प्राप्त सूचना के अनुसार पांच वर्ष की अवधि में सर्व शिक्षा अभियान के तहत 1538 शौचालय स्वीकृत कर बनाये गए l भारत सरकार द्वारा इन शौचालयों की प्रति शौचालय अनुमोदित मानक लागत चौबीस हज़ार रूपए मात्र थी और ये शौचालय मानक लागत चौबीस हज़ार रूपए प्रति शौचालय की दर से कुल 369 लाख 12 हज़ार रुपयों में बन जाने चाहिए थे l किन्तु उत्तर प्रदेश सरकार के ये 1538 शौचालय प्रति शौचालय 2 लाख 9 हज़ार रुपयों की दर से कुल 3225 लाख 81 हज़ार रुपयों में बनाये। इस प्रकार उत्तर प्रदेश के भ्रष्ट और बेशर्म माननीय और अधिकारी 2856 लाख 69 हज़ार रूपए पचा गए और डकार भी नहीं ली। इन 2856 लाख 69 हज़ार रुपयों से मानक लागत चौबीस हज़ार रूपए प्रति शौचालय की दर से कुल 11902 विद्यालयों में शौचालय बनाकर प्रदेश के करोड़ों बच्चों को मिल सकने बाली यह मूलभूत सुविधा उन्हें नहीं मिल पायी है।
इस प्रकरण में चौंकाने बाला तथ्य यह भी है कि इन रुपयों में से 60 प्रतिशत से भी अधिक 1944 लाख रूपए केवल आगरा को दिए गए और 40 प्रतिशत से भी कम में प्रदेश के बाकी जिलों को निपटा दिया गया हैl इस प्रकार का असमान आबंटन प्रकरण में अनियमितताओं की ओर इशारा कर रहा है।