फर्रुखाबाद: फर्जी शिक्षकों और बेसिक शिक्षाविभाग के अधिकारियों की मिलीभगत का एक और नमूना सामने आया है। दर्जनों शिकायतों के बाद एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा स्वयं एक फर्जी शिक्षक के असली प्रमाणपत्रों की प्रमाणित छाया प्रति जिलाधिकारी को उपलब्ध कराने के बाद बीएसए ने मजबूरन फर्जी शिक्षक की सेवा समाप्ति व छह वर्षों तक लिये गये अवैध वेतन की वसूली का आदेश तो विगत 27.02.2012 को जारी कर दिया, परंतु उसके अनुपालन के नाम पर नूरा कुश्ती चलती रही। तीन माह बाद कार्यवाही के विषय में सूचना मांगने पर बीएसए ने स्वयं रुचि लेकर एफआईआर कराने के बजाय खंड शिक्षा अधिकारी को ही एक अनुस्मारक और लिख दिया।
विदित है कि एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा एक फर्जी शिक्षक राजनरायन शाक्य के असली प्रमाण पत्रों की प्रमाणित छाया प्रति तत्कालीन जिलाधिकारी को उपलब्ध कराकर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर भी जब कार्रवाई नहीं हुई और राज्यसूचना आयोग में डीएम के तलब होने की नौबत आ गयी तब कही जाकर पूर्व बीएसए ने फर्जी शिक्षक राजनरायन शाक्य के विरुद्ध सेवा समाप्ति, छह वर्ष तक अवैध रूप से लिये गये वेतन की वसूली करने व पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश विगत 27.02.2012 को जारी किये गये। परंतु वर्षों की सांठगांठ और मिलीभगत के चलते कोई कारर्वाई नहीं की गयी। तीन माह बाद जब कार्वाई के विषय में सूचना मांगी गयी तो बीएसए ने इतने गंभीर प्रकरण में स्वयं व्यक्तिगत रूप से रुचि लेकर कार्रवाई करने के बजाये खंड शिक्षा अधिकारी को एक अनुस्मारक और लिख दिया।
जाहिर है कि यह सब फर्जी शिक्षक को उच्च-न्यायालय में अपील करने व स्थगन आदेश प्राप्त करले के लिये समय दिये जाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
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