अन्ना हजारे का अनशन शुरू, राजघाट छावनी में तब्दील

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सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने राजघाट पर अपना एक दिन का अनशन शुरू करने के बाद कहा कि अगर सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के मुद्दे पर जनता का साथ नहीं दिया, तो वह 16 अगस्त से जंतर-मंतर पर देश की ‘आजादी’ की दूसरी लड़ाई शुरू करेंगे।

हजारे, बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ रामलीला मैदान पर हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध में राजघाट पर अनशन कर रहे हैं। अनशन शुरू करने से पहले वह महात्मा गांधी की समाधि पर गए और वहां उन्होंने राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित की।

अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए हजारे ने सीधे सरकार पर निशाना साधा और कहा, अगर सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के मुद्दे पर जनता का साथ नहीं दिया, तो हम 16 अगस्त से जंतर-मंतर पर देश की आजादी की दूसरी लड़ाई शुरू करेंगे। हजारे ने कहा कि 16 अगस्त से यह आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक मेरे शरीर में प्राण रहेंगे।

हजारे ने कहा, हम तब तक लड़ेंगे, जब तक सत्ता पूरी तरह लोगों के हाथ में नहीं होगी। हमें व्यवस्था में बदलाव के लिए आजादी के दूसरे आंदोलन की जरूरत है। जनता ही सांसदों और विधायकों को चुनती है। सरकार को सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए ग्रामसभाओं को ज्यादा से ज्यादा अधिकार देने चाहिए।

उन्होंने कहा, सरकार और हम अलग नहीं हैं। एक तरह से हम एक ही हैं। सरकार के दिमाग में खुद के आका होने का भाव है। वह खुद को मालिक समझती है, जबकि उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र बनने के बाद देश की जनता इस देश की मालिक हो गई है।

हजारे राजघाट के सामने गांधी दर्शन पर अनशन कर रहे हैं। वह मंच पर अकेले बैठे हैं, जबकि उनके साथी कार्यकर्ता शांतिभूषण, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल और स्वामी अग्निवेश आदि जमीन पर आम जनता के साथ बैठे हैं।

बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए हजारे ने कहा, रात को सोते लोगों पर लाठियां चलाना मानवता पर कलंक लगाने और लोकशाही का गला घोंटने जैसी घटना है। इसके विरोध में आज हम यहां एकत्र हुए हैं। रामलीला मैदान पर सिर्फ गोली ही नहीं चली। बाकी सारा अन्याय और अत्याचार जलियांवाला बाग की घटना की याद दिलाता है।

वहां मौजूद समर्थकों को संबोधित करते हुए स्वामी अग्निवेश ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन जनता ने हजारे के साथ ही बाबा रामदेव के नेतृत्व में भी शुरू किया है, लेकिन अप्रैल में अन्ना द्वारा जंतर-मंतर पर किए गए अनशन के दौरान अगर पुलिस कार्रवाई होती तो अन्ना गिरफ्तारी दे देते।

हजारे का जिक्र करते हुए और रामदेव पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए अग्निवेश ने कहा कि अप्रैल में हजारे ने शांतिपूर्वक तरीके से जंतर-मंतर पर लोकपाल मुद्दे पर अनशन किया था और अगर तब वहां पुलिस कार्रवाई की गई होती, तो हजारे वहां विरोध नहीं करते, बल्कि शांतिपूर्वक गिरफ्तारी दे देते।

उन्होंने कहा कि अप्रैल में अन्ना के नेतृत्व में 4 दिन तक शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया गया और 4 दिन के अनशन के बाद सरकार ने अन्ना की मांगें मान लीं, तो उन्होंने अनशन खत्म कर दिया था।

स्वामी अग्निवेश ने कहा कि हजारे ने सरकार से वादा किया था कि उनकी मांगें मान लेने के बाद वह अपना अनशन समाप्त कर देंगे और तब से अब तक सरकार के मंत्रियों से लगातार लोकपाल को लेकर बातचीत जारी है और लोकतंत्र का तकाजा भी यही है।

उन्होंने कहा, हम से कल सवाल किए गए थे कि अगर राजघाट पर रामलीला मैदान की तरह की कार्रवाई हुई तो क्या होगा, तो हमने कहा था कि अप्रैल में जब जंतर-मंतर पर अनशन के दौरान कोई गड़बड़ी नहीं हुई, तो अब कैसे होगी। उन्होंने सवाल किया कि हमें अब जंतर-मंतर पर अनशन की अनुमति नहीं मिली, तो क्या हम गुस्से में आ गए।

स्वामी अग्निवेश ने हालांकि रामलाली मैदान पर हुई पुलिस कार्रवाई का विरोध किया और कहा कि सरकार कम से कम यह कह दे कि रामलीला मैदान में जो कुछ हुआ वह गलत था, तो भी ठीक है। उन्होंने कहा कि सरकार अगर अपनी गलती मान लेती है, तो उसका कद नहीं घट जाएगा। स्वामी ने कहा कि रामलीला मैदान पर बेकसूर लोगों पर लाठी चलाना निंदनीय घटना थी।

उन्होंने कहा, हमारे मुद्दों पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जनता के मौलिक अधिकारों को लेकर हम एक मत हैं। इस बीच, अनशन स्थल पर लोगों का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है और हजारे के समर्थक सुरक्षा कर्मियों से अवरोधक हटाने का आग्रह करते देखे गए, ताकि लोगों को आने जाने में दिक्कत न हो।

उधर, अनशन स्थल के आसपास पुलिसकर्मियों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। दिल्ली पुलिस के साथ ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान भी यहां दिखाई पड़ रहे हैं।

अनशन स्थल पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए किरण बेदी ने कहा कि यह भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और लूटपाट के खिलाफ आजादी की दूसरी लड़ाई है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर हमें यहां क्यों बैठना पड़ा। हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ पहले आवाज नहीं उठाई और इसलिए आज हम इस स्थिति में पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि वे राजनीतिज्ञों के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने पहले राजनीतिज्ञों से संपर्क किया, लेकिन उन लोगों ने कुछ नहीं किया, इसलिए अन्ना को पहल करनी पड़ी।