फर्रुखाबाद: भईया या पान सौ के नोट के चक्कर मैं तौ हमारौ आलू भी ना बिकरौ है। आढ़ती नए नोट मांगै और ग्राहक पान पान सौ के नोटनै दिखामै। हमारौ तौ सब कछ चौपट हुयौ पड़ौ है। ठेठ आंचलिक भाषा में यह दर्द बयान किया सातनपुर सब्जी मंडी में एक छोटे सब्जी विक्रेता आशाराम के। आशाराम का कहना था कि आढ़तियों को पैसे देकर जो आलू और प्याज खरीदा था। अब बिक्री कम होने से वह सड़ने की कगार पर पहुंच गया है।
500 और 1000 रुपये के नोट बाजार में बंद किए जाने के बाद से सब्जी मंडी में हालात काफी खराब हो चुके हैं। मंडी के आढ़तियों से लेकर छोटे-मोटे सब्जी व फल विक्रेताओं के अलावा सब्जी उत्पादक किसान भी परेशान हैं। हालांकि सरकार ने 500 और 2000 रुपये के नोट शुरू किए हैं, लेकिन बैंकों में भीड़ और कैश की कमी के चलते पैसा मार्केट में नहीं आ रहा है। 500 और 2000 के नए नोट तो अभी बैंकों में भी नजर नहीं आ रहे हैं। इसलिए वह भी ग्राहकों के अभी ज्यादा काम नहीं आ रहे हैं।
शनिवार को भी सब्जी मंडी में बिक्री काफी कम थी। शादियों के लिए सब्जी और फल लेने आने वाले एक व्यक्ति ने तो आढ़ती को दस हजार रुपये के बदले में आठ हजार रुपये का सामान तक पेश करने की मांग की, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। उन्होंने पहले दस हजार के बदले आठ हजार रुपये खुल्ले देने की भी मांग रखी थी। मंडी में जब किसान सुबह सब्जी लेकर आता है तो वह नकद पैसे लेता है और आढ़ती के पास नए नोट न होने पर वह मना कर देता है। आढ़ती की भी परेशानी को देखते हुए किसान भाड़ा के पैसे देने और बाकि उधार करने की मांग रखता है, जिसे आढ़ती मान भी लेता है।