लखनऊ : लैकफेड घोटाले की परतें खुलना आरंभ हो चुकी हैं, पूर्व की माया सरकार के तीन पूर्व मंत्री इस की चपेट में आकर इस समय जेल में हैं वहीँ सूत्रों के मुताबिक जल्द ही कई और पूर्व मंत्री सलाखों के पीछे होंगें। पूर्व मंत्री सदल प्रसाद, चौधरी लक्ष्मी नारायण, अनीस अहमद अंसारी उर्फ फूल बाबू सहित बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ जाँच में लगी पुलिस कोऑपरेटिव सेल सबूत एकत्र कर रही है|
प्रारंभिक जाँच में सामने आया कि माया सरकार के अधिकांश मंत्रियों ने लैकफेड को काम व बजट दिलाने के बदले रिश्वत ली थी। जाँच एजेंसी ने पूर्व मंत्री बादशाह सिंह समेत रंगनाथ मिश्र और चंद्रदेव राम यादव को जेल पहुंचा दिया है।
जाँच एजेंसी ने खुलासा किया है कि पूर्व मंत्री सदल प्रसाद ने लैकफेड को 11 करोड़ का पॉलिटेक्निक निर्माण कार्य दिलवाया, अनीस अहमद ने 18 करोड़ का अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में सप्लाई का काम, रंगनाथ मिश्र ने 16 करोड़ 25 उच्च माध्यमिक विद्यालय के निर्माण और नवोदय स्कूलों के साइन बोर्ड सप्लाई के लिए, अवध पाल सिंह ने पशु चिकित्सालय निर्माण के लिए 68 लाख दिलवाए, चौधरी लक्ष्मी नारायण ने आईटीआई के निर्माण के लिए 31 करोड़ और चंद्रदेव राम ने भी लगभग 31 करोड़ रुपये अपने विभाग से लैकफेड को दिलवाए| सबूतों और गवाहों के बयानों के बाद पता चल है कि इन सभी मंत्रियों ने इसके बदले 5 से 7 प्रतिशत रिश्वत ली।
सूत्रों के मुताबिक अब इन सभी पूर्व मंत्रियों को सफीना भेजा जायेगा। इसके साथ ही पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ जाँच एजेंसी कोर्ट से वारंट हासिल करने के लिए विधिक राय ले रही है| वारंट मिलने के बाद डासना जेल में बंद बाबू सिंह कुशवाहा को रिमांड पर लेकर पूछताछ हो सकेगी।
खुलासे के बाद भी आर्किटेक्ट पर क्यों नहीं हो रही कार्यवाही
मंत्रियों के साथ मिलीभगत कर ठेकों और विभागीय कार्यों को अपने मनमुताबिक अंजाम दिया| पूर्व की सरकार में शायद ही कोई ऐसा मंत्री रहा होगा जिसके साथ मृदुल के कारोबारी रिश्तें न रहे हों, इस आर्किटेक्ट ने इन पूर्व मंत्रियों के साथ मिलकर काली कमाई को अंजाम दिया|
अब ये बात लैकफेड घोटाले की जाँच में भी सामने आ गयी है| इस घोटाले की जाँच में लगी पुलिस को-ऑपरेटिव सेल के सूत्रों के मुताबिक जाँच में ये सामने आया है कि मृदुल ने एक सिंडीकेट बना जहाँ कुछ पूर्व मंत्रियों से अपने काम निकाले और उनको भी रिश्वत के तौर पर काफी बड़ी रकम अदा की वहीँ कुछ से नजदीकियां बनाने के लिए उनके घरों के निर्माण के दौरान जहाँ मुफ्त में उसके नक़्शे बना कर दिए वहीँ अपनी ओर से आर्थिक सहयोग भी किया।
जाँच में लगी पुलिस को-ऑपरेटिव सेल ने उजागर किया है कि लैकफेड को विभिन्न विभागों के मंत्रियों ने काम दिलाया और बड़ी रकम डकार गए| इस पूरे घोटाले में कई अधिकारियों के साथ ही विभागों के मंत्री शामिल रहे वहीँ इन सबमें मंत्री रंगनाथ मिश्रा और चंद्रदेव राम यादव काफी सक्रिय रहे|
रंगनाथ मिश्रा के संरक्षण में आर्किटेक्ट मृदुल ने अपना एक सिंडीकेट तैयार कर लिया| मृदुल ने रंगनाथ मिश्रा और चंद्रदेव राम यादव की सरपरस्ती में लैकफेड को मिलने वाले हर विभाग के काम कराने में अपनी भूमिका तय कर ली। जबकि कई विभागों के आर्किटेक्ट वेतन तक ही सीमित रह गए थे उनको करने के लिए कोई काम ही नहीं था|
सूत्रों बताते हैं कि आर्किटेक्ट मृदुल ने पूर्व मंत्री चंद्रदेव के गोमतीनगर में बने घर का न सिर्फ नक्शा बनवाया बल्कि मंत्री को खुश करने के लिए उसमें बड़ी मात्रा में पैसा भी लगाया। अब जाँच टीम मृदुल को भी नोटिस भेजेगी|
रंगनाथ और चंद्रदेव लिए जाएंगे रिमांड पर
जेल में बंद रंगनाथ मिश्र और चंद्रदेव राम यादव को जाँच एजेंसी जल्द ही रिमांड पर लेगी। सूत्रों के मुताबिक जांच अधिकारियों कि उम्मीद है कि पूर्व मंत्रियों से पूछताछ में विभाग के कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं। सूत्र मानते हैं कि संभव है कि ये दोनों ये भी बता दें कि कोई इनके ऊपर भी था जो इनसे अपना हिस्सा वसूलता रहा है|
बहरहाल ये पूरी जाँच में ये तो अच्छा रहा कि भ्रष्ट राजनेता एक के बाद एक जेल जा रहे हैं लेकिन एक आर्किटेक्ट पर शिकंजा कसने में इतना समय क्यों लग रहा है ये समझ से परे है| हम सिर्फ उम्मीद कर सकते हैं कि जल्द ही इस घोटाले से जुड़े सभी आरोपी जेल के अन्दर होंगे|