लैकफेड घोटाला: बादशाह समेत आठ के खिलाफ चार्जशीट, पीएनबी के अधिकारी भी निशाने पर

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लैकफेड घोटाले में पुलिस को-ऑपरेटिव सेल ने मंगलवार को पूर्व श्रम मंत्री बादशाह सिंह सहित अब तक गिरफ्तार किए गए आठ आरोपियों के खिलाफ अदालत में पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। एक हजार पन्नों से अधिक की केस डायरी के साथ 11 पन्नों के आरोप पत्र को दाखिल किया गया।

पुलिस को-ऑपरेटिव सेल ने अपनी चार्जशीट में लैकफेड के पूर्व महाप्रबंधक (प्रशासन) पंकज त्रिपाठी, मुख्य अभियंता गोविंद शरण श्रीवास्तव, अकाउंटेंट अनिल अग्रवाल, अभियंता डीके साहू, संजय वैश्य व अजय दोहरे, पीआरओ प्रवीण सिंह और पूर्व श्रम मंत्री बादशाह सिंह पर कई आरोप लगाए गए हैं। जहां पूर्व श्रम मंत्री पर कमीशनखोरी के इल्जाम हैं, वहीं संजय वैश्य व अजय दोहरे पर लैकफेड के साथ ही बीआरजीएफ योजना में वित्तीय अनियमितता करने का आरोप है। ऐसे ही पंकज त्रिपाठी, प्रवीण सिंह, गोविंद शरण श्रीवास्तव और अनिल अग्रवाल पर चेकों को कटवाने और उनका भुगतान कर रकम हड़पने की साजिश का आरोपी बनाया गया है। अभियंता डीके साहू पर भी लैकफेड में विभिन्न विभागों द्वारा आने वाले कार्यों के संबंध में साजिश रच कर मंत्रियों को कमीशन दिलाने व अभियंताओं से जबरन रकम निकलवाने के लिए आरोपी बनाया गया है।

करोड़ों के बियरर चेक का बगैर किसी सत्यापन के भुगतान करने वाले पंजाब नेशनल बैंक की लालबाग शाखा के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों का भी फंसना तय है। इनके खिलाफ पुलिस को-ऑपरेटिव सेल पर्याप्त साक्ष्य जुटा चुकी है। बैंक व लैकफेड कार्यालय से हासिल सीसीटीवी फुटेज की हार्ड डिस्क के नतीजे आते ही इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो जाएगी। जांच अधिकारियों की मानें तो आरोपी बैंक कर्मियों को जेल जाना होगा।

लैकफेड घोटाले की जांच में पुलिस को-ऑपरेटिव सेल ने पिछले दिनों लालबाग स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा से कई ऐसे दस्तावेज बरामद किए थे, जिन्हें वह साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल करने जा रही है। बियरर चेकों से किए गए भुगतान से संबंधित इन दस्तावेजों में ऐसे चेक भी बरामद हुए हैं, जिनमें लाखों से सवा करोड़ तक का भुगतान किया गया।

नियमों के मुताबिक बियरर चेक में भुगतान लेने वाले के हस्ताक्षरों को सत्यापित किया जाना जरूरी होता है। बैंक प्रशासन को भी रकम निकासी कराने वाले व्यक्ति का चेक के पृष्ठ भाग पर दस्तखत कराकर सत्यापित दस्तखतों से मेल कराना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अभी तक बरामद किसी भी चेक पर किसी के हस्ताक्षरों को सत्यापित कराए जाने के साक्ष्य सामने नहीं आए हैं।

नियमों के मुताबिक 50 लाख से अधिक की रकम का भुगतान काउंटर से नहीं किया जाता है। ऐसे भुगतान सीधे स्ट्रॉन्ग रूम से होते हैं और इन भुगतान के समय बैंक के किसी वरिष्ठ अधिकारी की स्ट्रॉन्ग रूम में मौजूद रहना अनिवार्य होता है। बैंकों के ही नियम हैं कि स्ट्रॉन्ग रूम से होने वाले भुगतान का सीसीटीवी फुटेज रखा जाए, क्योंकि सारी रकम मौजूद स्ट्रॉन्ग रूम में मौजूद होती है, यानि कि यहां के सीसीटीवी फुटेज को कभी नष्ट नहीं किया जाता है।