बैंकों से नकली नोटों का धंधा जोरों पर, प्रशासन मौन

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मोहम्मदाबाद (फर्रुखाबाद): बीते दिन एक डाक्टर को बैंक कैशियर द्वारा नकली नोट दिये जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया था कि मोहम्मदाबाद के आर्यावर्त ग्रामीण बैंक में एक उपभोक्ता को कैशियर ने 500-500 के दो नकली नोट फिर पकड़ा दिये। इससे जनपद की बैंकों पर उपभोक्ताओं का विश्वास उठना लाजमी है। सवाल यह है कि बैंकों में इतने बारीकी से जांच के बाद नकली नोट कहां से आ रहे हैं और यदि आ रहे हैं तो वापस ग्राहकों को बैंक कैशियर द्वारा क्यों दिये जा रहे हैं। नकली नोटों के कारोबार में कहीं बैंक कर्मी भी तो शामिल नहीं?

कोतवाली मोहम्मदाबाद के मोहल्ला इंदिरा नगर निवासी राजीव कुमार पुत्र रामनिवास मोहम्मदाबाद स्थित आर्यावर्त ग्रामीण बैंक से एक लाख रुपये की चेक लेकर भुगतान लेने गया। चेक को श्याम सिंह ने राजीव कुमार के नाम से जारी किया था।
बैंक के कैश काउंटर पर बैठे कैशियर ने 500-500 की दो गठ्ठियां राजीव कुमार को भुगतान कर दी। जिन पर बैंक की स्लिप नहीं लगी थी। बैंक में नोटों को गिनकर कैशियर ने राजीव को थमा दिया। राजीव ने अपनी दुकान पर आकर सभी नोटों को चेक किया तो उसमें दो नोट 500- 500 के नकली निकले। राजीव जब वापस बैंक में गया और कहा कि यह दोनो नोट नकली हैं तो बैंक मैनेजर ने कहा कि यह हमारे बैंक ने भुगतान नहीं किये हैं। तुम बदलने के लिए ले आये। निराश होकर फिलहाल तो व्यापारी राजीव वापस लौट आया। जिससे उसको एक हजार रुपये का चूना बैंक के कैशियर द्वारा लगा दिया गया।

युवक ने जब यह कहा कि आपने भुगतान के समय गड्डी में स्लिप क्यों नहीं लगा कर दी थी। जिस पर बैंक मैनेजर ने कहा कि आरबीआई का निर्देश है कि गड्डी पर स्लिप लगाना जरूरी नहीं है। नकली नोटों के नम्बर 5जीडी856249, दूसरा 7एएल 358145 बताये गये हैं।

देखने वाली बात है कि बैंक के कैश काउंटर से नकली नोट भुगतान किये जा रहे हैं यह कितनी निंदनीय है। यदि बाहर से नकली नोट बैंक में आ जाते हैं तो क्या कैशियर उपभोक्ताओं को नकली नोट गड्डी में लगाकर भुगतान कर देगा। इससे साफ जाहिर है कि बैंककर्मी कहीं न कहीं नकली नोटों के कारोबार से जुड़े हुए हैं। जिसकी प्रशासन को गहराई से जांच करायी जानी चाहिए और रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार बैंककर्मी व बैंक मैनेजर के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।