मनोज के कार्यकाल में कम हुई कमीशन की दरे, ठेकेदार रहे परेशान

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फर्रुखाबाद: बसपा सरकार में भ्रष्टाचार के गुणगान के सिवा तो कुछ हुआ दिखा नहीं| मायावती और उनका कुनवा सिर्फ जनता के धन की लूट में लग गया| बसपा के नीले झंडे में रंगे नगर के व्यवसायी मनोज अग्रवाल भी इसी रंग में रंगे दिखाई पड़े| उनकी बहन मायावती के तमाम हैप्पी बर्थ डे पर दिया सेठजी ने लाखो का दान किया था| सो पूरी राजनीति नोटों की दम पर खरीदी| और काबिज होने के बाद खुलकर भ्रष्टाचार की गंगा में नहाये| कुछ पाप कम करने को पंडितो से पूजा पाठ कराया और सामूहिक विवाह आयोजन| इस दौर में सेठजी तो चमके मगर नगरपालिका के कर्मचारी अफसर और ठेकेदारों को नाक बंद कर मट्ठा पीना पड़ा|

मनोज अग्रवाल ने नगरपालिका की कुर्सी सम्भालने के बाद भ्रष्टाचार दूर करने की सौगंध कहई गयी| कई महीने तक कोई विकास कार्य नहीं हुआ| सेठजी ने नगरपालिका की फाइले घर मंगा कर खंग्लनी शुरू की तो कुछ दिनों बाद ही पर उनके घर के बाहर ही नाले वालो ने हमला कर दिया| रात भर शुभचिंतको की भीड़ जमा रही| मगर मनोज बाबु की इतनी हिम्मत नहीं जगी कि FIR तक लिखाते| अलबत्ता दयमंती सिंह के कार्यकाल का भ्रष्टाचार सेठजी भूल गए और अपनी गणित लगनी शुरू कर दी| उनसे पहले नगरपालिका में अध्यक्ष का कमीशन 20 प्रतिशत होता था उन्होंने फ़ौरन इसे कम कर 15 प्रतिशत कर दिया| ठेकेदारों के चेहरों पर ख़ुशी आ गयी| मगर ये ख़ुशी बहुत दिनों तक नहीं रह सकी| लालाजी ने अपना एक कारखाना लगाया सीमेंट की ईंट बनाने का| ये कारखाना बेनामी बाथम ब्रदर्स के नाम चला| नगरपालिका की हर गली सड़क में ईंट लालाजी के कारखाने की लगी| ईंट का भुगतान पूरा लालाजी ने रखा| जो ईंट ठेकेदार को बाजार से 4-5 रुपये की मिल जाती उसे ठेकेदार १२ रुपये प्रति ईंट की दर से नगरपालिका ने लालाजी से खरीदा| ये खरीद भी बड़ी करीने से थी| ईंट का भुगतान ठेकेदार को होता था| ठेकेदार बैंक से पैसा निकाल सेठजी तक पहुचता था| सेठजी ने कमीशन कम कर दिया था| ईंट के भुगतान को काट लेबर, बालू, सीमेंट में से 15 प्रतिशत और लालाजी को चाहिए था| भ्रष्टाचार के विकेंद्रीकरण ख़त्म हो चुका था| मायावती की तर्ज पर सारा पैसा चौक पर पहुच गया| लालाजी लिखापादी में ईमानदार भी रहे| बड़े ही गर्व से कहते है चुनाव जात फैक्टर से होगा, भ्रष्टाचार को कौन पूछता है|

पिछला चुनाव जब हुआ था कुछ जुमले याद होंगे- मनोज अग्रवाल फर्रुखाबाद की नगरपालिका को कायमगंज से बेहतर बनाने का दावा करते थे| कायमगंज में तो कई गलियां और पानी में मोटर पम्प मिथलेश अग्रवाल ने अपने खुद के पैसे से लगवाये बनवाये| हमारे मनोज अग्रवाल ने तो अपने घर का सीवर साफ़ करने के लिए नगरपालिका ने ५-६ लाख का सक्शन पम्प की खरीद लिया|