यूपी: दो मिनट में खुला सीएम के सामने अधिकारियों का झूठ

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बागपत के जोहड़ी गांव की मोमिना से वीडियो कांफ्रेंसिंग पर जैसे ही बात शुरू की, दो मिनट में अफसरों का झूठ सामने आ गया।

मोमिना ने सीएम को बता दिया कि लोहिया आवास के लिए की गई जांच में जमकर लापरवाही बरती गई। खुद डीएम ने अपने अफसरों की गलती मानते हुए जांच गुणवत्ता पूर्ण न किए जाने की सीएम को जानकारी दी। डीएम ने दो अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

मात्र दो मिनट की वार्ता में ही अधिकारियों की पोल खुल गई। लगभग 12 बजे मोमीना अपने पति शब्बीर, ग्राम प्रधान सरस्वती के साथ मुख्यमंत्री से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात करने के लिए कलक्ट्र्रेट स्थित एनआईसी रूम में पहुंचे। वहां जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी समेत सभी संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।

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वीडियो कांफ्रेंसिंग में छठे नंबर पर बागपत का नंबर आया। मुख्यमंत्री ने पहले डीएम से मामले की जानकारी ली। उसके बाद मोमीना से मामला पूछा। मोमीना ने अपना घर कच्चा बताया और अधिकारियों पर उसके बेटे के मकान पर ही बार-बार जांच के लिए पहुंचने का आरोप लगाया।

डीएम ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बताया कि पहले सर्वे में इसे शामिल किया था, बाद में अपात्र पाया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि जांच अधिकारियों ने गुणवत्तापूर्ण जांच नहीं की थी।

दो मिनट तक मोमीना और मुख्यमंत्री की हुई वार्ता
मुख्यमंत्री : अपना मामला बताइए
मोमीना : मेरा मकान कच्चा है, फिर भी मुझे अपात्र बताकर आवास नहीं दिया।
मुख्यमंत्री : अपात्र क्यों बताया जांच अधिकारियों ने।
मोमीना : मैं कच्चे मकान में अपने पति और सात बच्चों के साथ रहतीं हूं, मेरा बड़ा बेटा और बहू एक छोटे दो कमरों के पक्के मकान में रहते हैं। जांच करने गए अधिकारी मेरे मकान की बजाय बेटे के मकान पर पहुंचे। छोटे से मकान में हम सभी कैसे रहें?

खुशी भी है और दुख भी
जौहड़ी की मोमीना मुख्यमंत्री से बात करके काफी खुश नजर आईं। उन्होंने बताया कि आज से पहले किसी विधायक तक से उनकी मुलाकात नहीं हुई, लेकिन आज सीधे मुख्यमंत्री से बात हो गई। लेकिन वह इस बात से भी नाराज नजर आईं कि मुख्यमंत्री ने भी उन्हें आवास देने के लिए हामी नहीं भरी। इतने बड़े परिवार को वह दो कमरों के मकान में कैसे रखे?

दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश
जिलाधिकारी ने बताया कि पहले सर्वे में मोमीना का नाम शामिल था, बाद में हुई जांच में बताया गया कि मोमीना गांव में ही नहीं रहती। जिस पर अपात्र मान लिया गया। उसके बाद अन्य अधिकारियों की जांच हुई तो मोमीना को गांव में ही रहने वाला पाया गया, लेकिन उसका पक्का मकान है, इसलिए अपात्र ही माना गया।

गुणवत्ता पूर्ण जांच न किए जाने पर ग्राम पंचायत सचिव परविंद्र सिंह एवं एडीओ सहकारिता राजीव कुमार शर्मा पर कार्रवाई के आदेश कर दिए हैं।