खूब छपे मीडिया में, नये प्रशासनिक अमले से पहचान के बाद फिर अनशन समाप्त

Uncategorized
  • फर्रुखाबाद: बीते चार दिन से चल रहा सर्वोदय मण्डल का अनशन रविवार को पांचवें दिन प्रातः सिटी मजिस्ट्रेट भगवानदीन व क्षेत्राधिकारी नगर विनोद कुमार सिंह ने बिना लिखित आश्वासन दिये, सिर्फ मौखिक रूप से कहकर अनशन तुड़वा दिया। सर्वोदय मित्र मंडल और लक्षमण सिंह के लिये यह कोई नयी बात नहीं है। विभिन्न सियासी-गैर सियासी मुद्दों पर आंदोलन, धरना-प्रदर्शन व अनशन को कुछ दिन चलाने के बाद बिना किसी हल के आश्चर्यजनक असानी से मान जाना उनकी पुरानी कार्यशैली है। इसकी पुष्टि आप जेएनआई की वेबसाइट पर कलेंडर के नीचे बने  SEARCH BOX में केवल सर्वोदय मित्र मंडल या लक्षमण सिंह लिख कर कर सकते है। इस बार भी कुछ एसा ही होने की आशंका या उम्मीद जानकारों को तो खैर पहले से ही थी। हां इतना अवश्य हुआ कि निकाय चुनाव से पूर्व मित्र मंडल को मीडिया में ठीक-ठाक कवरेज मिल गया व प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद बदले प्रशासनिक अमले से उनकी पहचान हो गयी। अब छोटे मोटे कामों के लिये उनको अधिकारियों से दिक्कत नहीं होगी। जिन भ्रष्ट अधिकारियों व अपराधियों (सटोरियों) के विरुद्ध उन्होंने इस दौरान जमकर भड़ास निकाली, हो सकता है उनके रुख में भी कुछ परिवर्तन आ गया हो।

सिटी मजिस्ट्रेट भगवानदीन वर्मा, क्षेत्राधिकारी नगर विनोद कुमार सिंह ने शनिवार को देर रात तक सर्वोदय मण्डल के कार्यकर्ताओं से अनशन तोड़ने की बात रखी थी। बगैर लिखित आश्वासन के आनशनकारी अनशन तोड़ने को तैयार नहीं थे। लक्ष्मण सिंह एडवोकेट के नेतृत्व में चल रहे अनशन को आज प्रातः फिर प्रशासन को वार्ता करनी पड़ी। लेकिन रविवार को प्रात: केवल मौखिक आश्वासन पर ही अनशन समाप्त हो गया तो प्रशासन ने राहत की सांस ली।

लक्ष्मण सिंह ने सीडीपीओ कमलेश कुमारी पर त्वरित कार्यवाही करने की मांग की। जिस पर सिटी मजिस्ट्रेट ने आश्वासन दिया कि शीघ्र ही कमलेश कुमारी पर कानूनी कार्यवाही की जायेगी। विदित है कि कुछ दिन पूर्व सीडीपीओ कमलेश कुमारी ने सर्वोदय मित्र मंडल के अनशन में शामिल एक नेता देवकी नंदन गंगवार की आंगनबाड़ी कार्यकत्री पत्नी की अनुपस्थिति में पंजीरी की बोरियां उनके पति को देने से कथित रूप से इनकार कर देने के बाद बढ़पुर परियोजना कार्यालय पर विवाद हुआ था। आंगनाबाड़ी कार्यक्रम की पूरे जनपद में ही बुरी स्थिति है। शत प्रतिशत केंद्रों पर पंजीरी की चोरी व खाने के पैसौं के बंदरबांट की स्थापित व्यवस्था है। यह सही हो सकता है कि बढ़पुर परियोजना में गड़बड़ कुछ अधिक हो। परंतु हाल के दिनों में जिला कार्यक्रम अधिकारी से सीडीपीओ के 36 के आंकड़े व एक अन्य सीडपीओ के बढ़पुर का चार्ज लिये जाने की आतुरता के किस्से विभाग से जुड़े हर व्यक्ति की जुबान पर हैं।

लक्ष्मण सिंह ने क्षेत्राधिकारी नगर विनोद कुमार से घुमना चौकी इंचार्ज हरनाथ सिंह के ऊपर घूसखोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि दरोगा की मिलीभगत से खटकपुरा इज्जत खां में सट्टा का कारोबार पनप रहा है। सीओ सिटी के निर्देश पर कल दरोगा हरनाथ मोहल्ले के सट्टा माफिया को पकड़ने के लिए पहुंचे लेकिन गिरफ्तार नहीं किया। यह शिकायत जरीना पत्नी मुन्ना खां ने अनशन के दौरान सिटी मजिस्ट्रेट से की। उसने कहा कि जब हम लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस से करने की बात कही तो सट्टा माफियाओं ने मुझे यह कहकर धमकाया कि पुलिस कुछ नहीं करेगी। पुलिस को 50 हजार रुपये महीने जाता है। इस पर सीओ सिटी ने सट्टा माफियाओं को शीघ्र ही गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया। सब जानते हैं कि सट्टा जनपद की पुलिस व्यवस्था का एक स्थायी अंग है। इसके बावजूद सट्टे को जड़ से समाप्त किये जाने के बजाये किसी एक सटारिये या दरोगा को चिन्हित करना भी अपने आप में प्रश्न चिन्ह लगाता है।

सिटी मजिस्ट्रेट ने सर्वोदय मण्डल की सभी मांगों के शीघ्र निस्तारण करने की बात कही। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट भगवानदीन ने लक्ष्मण सिंह को जूस पिलाकर अनशन तुड़वा दिया।

लक्ष्मण सिंह ने प्रशासन से कहा कि पांच दिन में सभी मांगों पर कार्यवाही नहीं हुई तो पांच दिन के बाद इससे भी बड़ा अनशन पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर किया जायेगा।

अब चूंकि नगरपालिका चुनाव सर पर है। इस लिये कभी लक्षमण सिंह के धुर विरोधी रहे विधायक विजय सिंह तक ने उनका समर्थन का बयान दे डाला, डा. रजनी सरीन के अलावा भारी संख्या में अनशन करने वाले सहयोगी मौजूद रहे।