मशहूर संत बाबा जय गुरुदेव का मथुरा में निधन

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दुनिया को गुरु का महत्‍व समझाने वाले देश के मशहूर संत जय गुरुदेव का शुक्रवार को निधन हो गया. करीब 10 दिनों से बीमार चल रहे 116 साल के जय गुरुदेव का गुड़गांव में इलाज चल रहा था, लेकिन शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने के कुछ घंटों बाद ही मथुरा के आश्रम में उन्‍होंने रात 10:30 बजे अंतिम सांस ली.

जय गुरुदेव के देश-विदेश में लाखों भक्त हैं. उनके भक्त खासकर गांव में रहने वाले लोग हैं. वे अपना प्रचार दीवारों पर लिखवा कर किया करते थे.

कौन थे जय गुरुदेव?
बहुत कम लोगों को मालूम है कि जय गुरुदेव का असली नाम तुलसी दास जी महाराज था. इनका जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के खिटोरा गांव में हुआ था. जय गुरुदेव के देश-विदेश में करोड़ों भक्त हैं. इनके अनुयायियों में अनपढ़ किसान से लेकर पढ़े-लिखे लोग शामिल हैं. अपने अनुयायियों को जय गुरुदेव हमेशा गुरु का महत्व समझाते थे.

गुरुदेव का बचपन
दरअसल, छोटी उम्र में ही तुलसीदास के माता-पिता चल बसे, जिसके बाद वे सत्य की खोज में निकल पड़े. इसी दौरान उनकी मुलाकात संत घूरेलाल जी से हुई और उन्‍होंने जीवन भर के लिए इन्हें अपना गुरु मान लिया. संत घूरेलाल की मौत के बाद जय गुरुदेव ने मथुरा जिले में आगरा दिल्ली राजमार्ग पर अपने गुरु की याद में चिरौली संत आश्रम की स्थापना की और समाजसेवा में जुट गए.

समाजसेवा और जय गुरुदेव
जय गुरुदेव अपने आश्रम और ट्रस्टों के जरिए हमेशा गरीबों की मदद किया करते थे, जिसमें निशुल्क शिक्षा, निशुल्क चिकित्सा और दहेज बिना सामूहिक शादियां करवाना जैसी चीजें शामिल हैं. उन्‍होंने समाज में वैचारिक चेतना लाने के लिए दूरदर्शी पार्टी की भी स्थापना की थी. गुरुदेव शराब के सख्त खिलाफ थे और लोगों को हमेशा शाकाहारी भोजन के लिए प्रेरित करते थे.

ब्रज का सबसे ऊंचा मंदिर
जय गुरुदेव ने अपने गुरु घूरेलाल जी की याद में 160 फुट ऊंचे योग साधना मंदिर का निर्माण किया, जो सफेद संगममर का बना है. ये मंदिर पूरे ब्रज का सबसे ऊंचा और अनोखा मंदिर है. मंदिर में 200 फुट लंबा और 100 फुट चौड़ा सत्संग हॉल है, जिसमें लगभग 60,000 लोग एक साथ बैठ सकते हैं.