पढ़ें: तार क्या था और इसे कैसे भेजा जाता था?

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telegramआज से 163 साल पुरानी तार सेवा समाप्त हो गई, पर आज भी युवा पीढ़ी इस बात से अनजान है कि तार क्या था और इसे भेजा कैसे जाता था। नई पीढ़ी शायद इस बात पर भी यकीन न करे कि डाकिया जब तार लेकर किसी के दरवाजे पर आता था तो लोगों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती थी।

कैसे भेजा जाता था?

तार क्या था और इसे भेजा कैसे जाता था, इस संबंध में पड़ताल करने पर डाकघर के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह शहरों का टेलीफोन कोड है, उसी तरह टेलीग्राम करने के लिए जिलों और शहरों का भी टेलीग्राम कोड हुआ करता था। टेलीग्राम कोड छह अक्षरों का होता था। टेलीग्राम करने के लिए प्रेषक अपना नाम, संदेश और प्राप्तकर्ता का पता आवेदन पत्र पर लिखकर देता था, जिसे टेलीग्राम मशीन पर अंकित किया जाता था और शहरों के कोड के हिसाब से प्राप्तकर्ता के पते तक भेजा जाता था।

उन्होंने बताया कि टेलीग्राम करने के लिए पहले मोर्स कोड का इस्तेमाल होता था। विभाग के सभी सेंटर एक तार से जुड़े थे। मोर्स कोड के तहत अंग्रेजी के अक्षर व गिनती के अंकों का डॉट (.) और डैस (-) में सांकेतिक कोड बनाया गया था। सभी टेलीग्राम केंद्रों पर एक मशीन लगी होती थी। जिस गांव या शहर में टेलीग्राम करना होता था, उसके जिले या शहर के केंद्र पर सांकेतिक कोड से संदेश लिखवाया जाता था।

मशीन के माध्यम से संबंधित जिले या शहर के केंद्र पर एक घंटी बजती थी जिससे तार मिलने की जानकारी प्राप्त होती थी और सूचना तार के माध्यम से केंद्र पर पहुंचती थी। घंटी की सांकेतिक कोड को सुनकर कर्मचारी प्रेषक द्वारा भेजे गए संदेश को लिख लेता था। गड़बड़ी की आशंका के चलते टेलीग्राम संदेश बहुत छोटा होता था। संदेश नोट करने के बाद डाकिया उसे संबंधित व्यक्ति तक पहुंचा जाता था।
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दिलों की बढ़ जाती थी धड़कन

टेलीग्राम या तार अक्सर मृत्यु या किसी की तबीयत खराब होने की जानकारी देने के लिए ही की जाती थी। इसी वजह से जब किसी घर में डाकिया तार लेकर आता था तो लोगों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती थी और कई बार तो बगैर तार पढ़े ही लोग रोना शुरू कर देते थे। डाकघर के अधिकारियों के अनुसार, तार सेवा सेना और पुलिस के साथ ही खुफिया विभाग के लिए बेहद उपयोगी थी। तत्काल संदेश पहुंचाने और गोपनीयता बरकरार रहने की वजह से सेना और पुलिस के साथ ही खुफिया संदेश भेजने के इच्छुक लोग इसका प्रयोग किया करते थे।

आखिरी दिन 20 हजार लोगों ने भेजे तार

आज भी कई लोगों के पास तार के माध्यम से प्राप्त संदेश सुरक्षित हैं। डाकघर के अधिकारियों ने बताया कि टेलीग्राम बंद होने की सूचना मिलने के बाद भी कुछ ही लोगों ने तार करने में रुचि ली। दिल्ली में हालांकि आखिरी दिन करीब 20,000 लोगों ने अपने प्रियजनों को तार भेजकर अपना शौक पूरा किया। जमाना बदला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तरक्की की बदौलत संचार सुविधाएं बढ़ गई हैं और लोगों को अब मोबाइल और इंटरनेट से ही संदेश भेजना अच्छा लगता है, पर जिन्होंने तार या पत्र भेजा है, उनके लिए निश्चित रूप से तार सेवा का महत्व आज भी बरकरार है। कई बूढ़े-बुजुर्गो की यादें तार से जुड़ी होंगी। जरा उनसे भी पूछ ही लीजिए।