बेसिक शिक्षा- माता दिवस की उडी धज्जियाँ, स्कूलों में कहीं लटके ताले तो कहीं रस्म अदायगी

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फर्रुखाबाद: मध्यान्ह भोजन योजना की ग्राम स्तर पर निगरानी व्यवस्था सुदृढ़ करने तथा सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए एमडीएम प्राधिकरण की ओर से 19 मई को माता दिवस के रूप में मनाने के निर्देश दिये गये थे। इसमें विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की माताओं की उपस्थिति सुनिश्चित कर माताओं एवं अभिभावकों को मीनामंच की बालिकाओं द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से स्वच्छता एवं पोषण के सम्बंध में जानकारी दी जानी थी। परन्तु अधिकांश विद्यालयों में माता दिवस के नाम पर खानापूरी तक की औपचारिकता नहीं की गयी। कई विद्यालयों में तो ताले लटकते रहे। पूछे जाने पर स्वयं को बीएलओ ड्यूटी के लिए तहसील जाने का बहाना बता दिया। जिम्मेदारी से बचने के लिए जिला समन्वयक सामुदायिक सहभागिता सुनील आर्या ने तो अपना सीयूजी मोबाइल नम्बर तक बंद रखा।

प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के माध्यम से माताओं एवं अभिभावकों को स्वच्छता एवं पोषण से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 20 मई को माता दिवस के तौर पर मनाये जाने के आदेश हैं। परन्तु इस बार 20 मई को रविवार होने के कारण माता दिवस का आयोजन 19 मई को किये जाने के निर्देश दिये गये थे। शनिवार को अधिकांश विद्यालयों में माता दिवस आयोजन के नाम पर अध्यापकों ने औपचारिकता तक निभाना मुनासिब नहीं समझा। कई विद्यालयों में तो अध्यापक मात्र परीक्षाफल वितरित कर नौ दो ग्यारह हो गये। पूछे जाने पर कई अध्यापकों ने स्वयं के बीएलओ ड्यूटी में लगे होने की बात कही।

प्राथमिक विद्यालय मदारबाड़ी में ताला पड़ा मिला। रिजल्ट बांटकर सारे शिक्षक बीएलओ ड्यूटी पर चले गये। कोई मदर्स डे नहीं मना।कन्या प्राथमिक विद्यालय श्यामनगर में खाना पीना चल रहा था लेकिन मदर्स डे नहीं मनाया गया। प्रधानाचार्या संतोष कुमारी से बात करने पर उन्होंने कहा यही सब किया गया है।
विकासखण्ड मोहम्मदाबाद के प्राथमिक विद्यालय पिपरगांव में प्रधानाध्यापक व दो शिक्षामित्रों के अतिरिक्त मात्र पांच अन्य लोग उपस्थित हुए। बढ़ेली में प्रधानाध्यापक व एक शिक्षामित्र के अतिरिक्त 17 लोग आये। प्राथमिक विद्यालय मदनापुर में भी मात्र आठ दस लोग ही मौजूद रहे। जूनियर हाईस्कूल जसमई में आधा दर्जन लोगों ने आयोजन में भाग लिया। प्राथमिक पाठशाला खतवापुर में तो प्रधानाध्यापक व एक शिक्षामित्र के अतिरिक्त मात्र तीन लोग ही मौजूद रहे। करनपुर रेहा में अवश्य 10 लोगों ने प्रतिभाग किया।

मजे की बात है कि जो लोग इन आयोजनों में उपस्थित भी हुए वह केवल ग्राम प्रधान के चहते ही थे। जोकि इन ग्रामों की फर्जी कमेटियों के सदस्य थे। छात्रों के वास्तविक अभिभावकों और माताओं को बुलाने की औपचारिकता तक नहीं पूरी की गयी।

माता दिवस के माध्यम से यह संदेश दिया जाना था कि विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की माताओं का रोस्टर बनाकर दो दो माताओं को प्रति दिन विद्यालय आकर भोजन चखने व भोजन की गुणवत्ता के पर्यवेक्षण के लिए निर्देशित किया जाये। जिससे कि मध्यान्ह भोजन योजना में सहभागिता की भावना बढ़े व बच्चों को नियमित रूप से गुणवत्तापूर्ण भोजन प्राप्त हो सके। माता अभिभावक संघ के सदस्यों के माध्यम से मध्यान्ह भोजन के लिए ग्राम स्तर पर हरी सब्जियों एवं दूध आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। परन्तु यहां तो बेसिक शिक्षकों की लापरवाही और मनमानी के चलते पूरा कार्यक्रम ही फ्लॉप हो गया।

विकासखण्ड शमशाबाद के जूनियर हाईस्कूल भिड़ौर में दो अध्यापक मौजूद मिले। साढ़े 11 बजे तक मात्र एक दो बच्चे ही स्कूल में उपस्थित थे। कोई अभिभावक मौजूद नहीं मिला।

प्राथमिक पाठशाला लोहापानी द्वितीय में प्रधानाध्यापक अपर्णा राजपूत व सहायक अध्यापक शशी चौधरी के अतिरिक्त सर्वेश कुमार व विनीता दुबे शिक्षामित्र मौजूद मिलीं। माता दिवस आयोजन के नाम पर मात्र चार पांच बच्चे और इतने ही अभिभावक नजर आये। जबकि इस विद्यालय में 90 बच्चों का पंजीकरण है।

विकासखण्ड राजेपुर क्षेत्र के जूनियर हाईस्कूल स्कूल कड़क्का में साढ़े आठ बजे शिक्षक नहीं मिले। वहां मौजूद छात्र रूबी, शामिद कक्षा 6 के स्टूडेंट खेलते मिले। पूछने पर इन्होंने अध्यापकों का नाम तक नहीं बता पाया। न ही यहां माता दिवस मनाया गया। यहां पर मात्र तीन बच्चे ही पहुंचे। अलादपुर भटौली में प्रधानाध्यापक गयादीन बैठे मिले। विद्यालय में कोई भी बच्चा मौजूद नहीं था। कोई अभिभावक भी नहीं आया। राजेपुर जूनियर स्कूल में भी कोई माता दिवस का आयोजन नहीं किया गया। खरगपुर जूनियर स्कूल में ताला तक नहीं खोला गया। कोई भी अध्यापक व बच्चे भी मौजूद नहीं थे। प्राइमरी स्कूल खन्डौली  में भी माता दिवस के नाम पर न तो बच्चे या अभिभावकों को बुलाया गया और न ही कोई अध्यापक आया। प्राथमिक विद्यालय गौटिया में 11 बजे कोई भी मौजूद नहीं था। गांव वालों ने बताया कि यहां किसी को इस बात की जानकारी तक नहीं है।

विकासखण्ड कमालगंज में 90 प्रतिशत विद्यालयों में रिजल्ट व बीएलओ ड्यूटी के चक्कर में माता दिवस नहीं मनाया गया। प्राथमिक विद्यालय नथुआपुर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय नथुआपुर में रिजल्ट बांटकर शिक्षक बीएलओ प्रशिक्षण के लिए चले गये। वहीं कुछ अध्यापक अपने घरों को चले गये। पूर्व माध्यमिक विद्यालय गौसपुर व  प्राथमिक विद्यालय गौसपुर में सुबह अध्यापक आये लेकिन किसी माता पिता या अभिभावक को नहीं बुलाया गया। अध्यापक बच्चों को रिजल्ट बांटकर विद्यालय 11 बजे ही बंद कर चले गये।