चुनाव के नाम पर आलू किसान की बलि, नेता खामोश

Uncategorized

फर्रुखाबाद: पश्चिमी यूपी को छोड़कर बाकी पूरे प्रदेश का किसान सबसे कमजोर और लाचार जनता है इस भारत की| जब चाहे जहाँ चाहे उसकी जमीन का अधिग्रहण कर लो| बाढ़ और सूखे की आपदा में किसान को सौ पचास की चेक थमा दो और बाकी का सब बंदरबाट कर लो| ताजा उदहारण चुनाव कराने में किसान की चमड़ी उधेड़ने जैसा है| फर्रुखाबाद में आलू की पैदावार की सीजन में आलू बेचने के लिए बनी मंडी को चुनाव के चक्कर में बंद कर आलू किसान के साथ एक बार फिर जबरा मारे रोबन न देय” जैसी स्थिति पैदा कर दी गयी|

फर्रुखाबाद में चुनाव सम्बन्धित काम निपटाने के लिए एशिया की सबसे बड़ी आलू मंडी के प्रांगण का इस्तेमाल किया जाता है| चुनाव के प्रशिक्षण, मतदान कर्मियों की रवानगी, मतपेटियो का रखरखाव से लेकर मतगणना तक आलू मंडी का इस्तेमाल होता है| वर्ष 2012 के चुनाव में भी इसी मंडी का इस्तेमाल किया गया किन्तु इस वर्ष जिन महीनो में मंडी अधिग्रहित की गयी वो महीने इस एरिया के किसानो के लिए सबसे बड़े और कीमती दिन थे| आलू की पैदावार कर जनवरी से मार्च महीने तक मंडी में किसान बेचता है और चार पैसे जुटाता है| किन्तु चुनाव के चलते उसकी आलू मंडी को कई दिन के लिए बंद होना पड़ रहा है| विभिन्न चरणों में विभिन्न चुनावी कारणों से कई दिन की बंदी फर्रुखाबाद के आलू किसानो के लिए उसकी चमड़ी उधेड़ने से कम नहीं| सबसे कमजोर किसान न उसकी कोई बोलने वाला न कोई सुनने वाला| आलू आढ़ती संघ से लेकर जिले के 64 नेता (जो चुनाव लड़े थे) भी किसानो के इस मुद्दे पर चुप दिखाई पड़े|

जिला प्रशासन को आलू मंडी के अलावा कोई जगह नहीं दिखी| आलू मंडी के निर्माण से पहले चुनाव सम्बन्धित कार्य डी एन कालेज और फतेहगढ़ स्थित स्टेडियम में होते रहे है| मगर जिलाधिकारी के सलाहकारों को भी किसानो का कोई दर्द नहीं दिखाई देता| आलू आढ़ती संघ के महासचिव शैलेन्द्र यादव ने बताया कि आलू मंडी सचिव का मौखिक फरमान आलू आढ़ती के पास पहुच गया है- मतगणना के लिए मंडी 5 फरबरी से 6 फरबरी तक बंद रहेगी हालाँकि वोटो की गिनती केवल 6 फरबरी को होनी है| 7-8 फरवरी में होली पड़ रही है उसके बाद मंडी अगले सोमवार यानि 11 फरवरी से ही सामान्य हो पाएगी| वहीँ देर रात मंडी प्रशासक नगर मजिस्ट्रेट भगवान दीन ने बताया कि मंडी में मतगणना की सुरक्षा को लेकर केवल 1 दिन के लिए 6 फरबरी को मंडी का कारोबार बंद रहेगा| 7 फरवरी से मंडी में किसान और व्यापारी कारोबार कर सकते हैं|

आलू खेतो में खुद कर टीले के रूप में लग चुका है| प्रतिदिन सूख रहा है, मंडी पहुचते पहुचते काला पड़ जायेगा जिसका खामियाजा किसान ही भुगतेगा| वर्तमान में 1 फरवरी पर आलू मिक्स 360 प्रति कुंतल छटता बढ़िया 500-550 प्रति कुंतल और 3797 किस्म का 650/- प्रति कुंतल तक बिका है| एक सप्ताह के लिए मंडी बंद हो जाएगी| होली बाद आलू की आवक एकाएक बढेगी और आलू का मूल्य धडाम हो जायेगा| बेचारा किसान कुछ कह न सकेगा ….| मगर इन सबसे न तो जिला प्रशासन को कोई मतलब है और न ही नेता को जो चंद दिनों पहले मंचो से किसान की हितो के लिए खुद को कुर्बान करने की सौगंध खा रहा था|

आलू मंडी में किसानो और आढ़ती के हित की बात करने का एक सगठन भी है| आलू आढ़ती एशोसियेशन| इस संगठन के जिलाध्यक्ष बनने के लिए मारामारी मची रहती है| पहले सन्नू गंगवार थे अब सुना है सतीश वर्मा है| महासचिव वकील और आढ़ती शैलेन्द्र यादव है|

मगर उस गरीब की कौन कहे और कौन सुने| लगता है उसे तो गरीब ही रखने में भलाई समझता है नेता और प्रशासन| गरीब रहेगा तो सस्ती शराब पीकर ही वोट दे देगा वर्ना ….| कितनी घटिया सोच है इन खद्दरधारियो की|

ये हाल तब है जब मुकेश राजपूत, सुशील शाक्य, नरेन्द्र सिंह यादव, सौरभ राठौर, महावीर राजपूत, रामसेवक यादव सरीखे नेता वोट मांगते समय बाहे चड़ा चड़ा कर खुद को किसान बता कर वोटो की भीख मांग रहे थे| बाकियों से क्या उम्मीद की जाये? मंडी से 2 किलोमीटर की परिधि में रहते है ये सब नेता जो विधायक बनने को उतावले थे| भाजपा के सुशील शाक्य तो भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष है, शायद केवल किसानो के वोट इक्कट्ठा करने के लिए| उनकी पार्टी के भास्कर दत्त द्विवेदी प्रदेश के उपाध्यक्ष है| क्या कहने इन सबके? मुकेश राजपूत का तो घर आना जाना ही मंडी के सामने से होता है| शायद सब के सब किसानो के दम घुटने का इन्तजार करते मालूम पड़ते है?

चुनाव ख़त्म हो गया- “किसान अन्नदाता है” किसानो को इकठ्ठा कर नेता मंचो से इस नारे को भौक कर चले गए| अब विधायक बन जायेंगे डीएम साहब के साथ बंद कमरे में बैठ कर जनता के पैसे की चाय पियेंगे और बाहर निकल कर फिर नारे लगायेंगे– जय जवान, जय किसान