खून के अभाव में लोहिया अस्पताल गेट पर तड़पता रहा रिटायर्ड अध्यापक

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फर्रुखाबादः सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चाहे जितने भी दावे कर ले लेकिन प्रति दिन लोहिया अस्पताल में इन दावों की पोल खुल ही जाती है। अस्पताल में ब्लड न होना अब आम बात हो गयी है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार आपातकालीन के लिए ब्लड सुरक्षित रखा जाता है और जब कोई मरीज को ब्लड की आवश्यकता होती है तो मरीजों को रक्त के अभाव में लोहिया अस्पताल में तड़पते देखा जा सकता है।

बीते एक सप्ताह पूर्व लोहिया अस्पताल में 65 वर्षीय रिटायर्ड अध्यापक कैलाशचन्द्र निवासी रौरा कन्नौज को जली अवस्था में भर्ती कराया गया था। कैलाशचन्द्र के पुत्र हरनारायण ने बताया कि बीते दो माह पूर्व कुप्पी से जल जल जाने के कारण अपने पिता को कन्नौज में ही प्राइवेट चिकित्सालय में भर्ती कराया था। प्राइवेट चिकित्सकों के भारी खर्चे के आगे दो महीने में मेरी जेब में कुछ नहीं रह गया। मजबूरन लोगों की राय पर मुझे पिता को लोहिया अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। हरनारायण ने बताया कि मुझे पूरा विश्वास था कि यहां पर सरकारी सुविधाओं के साथ खर्चा भी कम आयेगा। लेकिन हरनारायण को यहां भी भ्रष्टाचार ने नहीं छोड़ा। हरनारायण ने बताया कि पिता का इलाज सर्जन डा0 ए के शुक्ला कर रहे थे। जो एक सप्ताह से बराबर बाहर से दवा लिखकर इलाज कर रहे थे। जिसमें एक सप्ताह में मैं लगभग 15 हजार की चपेट में आ गया। जब कोई फायदा नहीं हुआ तो डाक्टर ने पिता कैलाशचन्द्र को खून की कमी की बात कही। जिस पर मैने अपना ब्लड ओ पॉजिटिव दे दिया। नर्स ने भी बहती गंगा में नहाते हुए 70 रुपये ब्लड लगाने का चार्ज ले लिया। लेकिन उन्होंने और खून चढ़ाने के लिए एक नर्स से कहा। अस्पताल से ब्लड की व्यवस्था नहीं की गयी। थक हारकर हरनारायण ने जब बाहर से दवाई व ब्लड लाने से इंकार कर दिया तो डाक्टरों ने उसको अस्पताल के बाहर का रास्ता दिखा दिया। जहां वह लोहिया इमरजेंसी गेट के बाहर पड़े थे। जहां बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था आपातकालीन चिकित्सा 24 घंटे उपलब्ध।