अब इसे येन-केन-प्रकारेण सत्ता में आने की चाहत कहें या राजनैतिक दलों की शुचिता का सीमा मानें, या राजनीति में अच्छे लोगों का अभाव, या राजनीति में धनबल व बाहुबल की अनिवार्यता कहें। आंकड़ों के मुताबिक भाजपा-कांग्रेस के अब तक घोषित उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा 26-26 आपराधिक चेहरे हैं। भाजपा ने शुक्रवार तक 346 प्रत्याशी घोषित किए है, लेकिन विश्लेषण में 220 उम्मीदवारों का ‘इतिहास’ परखा गया है। वहीं कांग्रेस के 215 उम्मीदवारों की पड़ताल की गई है। दोनों दल इनमें से 26 आपराधिक चेहरों को जनता की अदालत में उतार चुके हैं। समाजवादी पार्टी ने तो महज 165 प्रत्याशियों की लिस्ट में ही 24 दागियों को मैदान में उतार दिया। कुल मिलाकर यूपी विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को दागी उम्मीदवारों से परहेज नहीं दिख रहा। पूरे उम्मीदवारों के ऐलान पर यह तादाद और बढ़ना तय है।
राजनीतिक दलों की ओर से घोषित 248 उम्मीदवारों में से 77 आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। इनमें 38 तो ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन पर हत्या की कोशिश, डकैती, चोरी और अपहरण के गंभीर आरोप हैं। यह वे उम्मीदवार हैं जिन्होंने अपने शपथपत्र में आपराधिक रिकार्ड का ब्योरा भी दिया है। कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे राष्ट्रीय लोकदल ने भी दागी उम्मीदवारों को घोषित करने में बाकी दलों का साथ दिया है। उसके घोषित 17 प्रत्याशियों में पांच का ही शपथ पत्र मिल सका। रिपोर्ट तैयार करने वाले एसोसिएशन फॅर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संयोजक अनिल बेरवाल ने बताया कि यह शपथ पत्र प्रत्याशियों ने 2007 के विधानसभा चुनाव या 2009 के लोकसभा चुनाव में आयोग के समक्ष रखे थे। संभव है कि कुछ मामलों में वे बरी हो गए हों, लेकिन यह सभी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं।