पेश हो सकता है यूपी के बंटवारे का बिल

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लखनऊ। उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा एक जनसभा में उत्तरप्रदेश के बंटवारे की बात आगामी विधानसभा चुनाव जीतने का एक शगूफा हो सकता है। हालांकि इस प्रस्ताव को कानूनन अमल में लाने में एक लम्बा वक्त और विरोध का सामना करना पडेगा।करीब 20 करोड की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग एक अरसे से होती रही है।

बंटवारे के समर्थकों का मानना है कि इससे राज्य के विकास में तेजी आएगी और हर हिस्से को उसका वाजिब हक मिल पाएगा। यूपी में फिलहाल देश में सबसे ज्यादा 75 जिले और 18 मंडल हैं। उत्तर प्रदेश के जिन हिस्सों को अलग करने की बात की जा रही है, उनमें पूर्वचल का नाम सबसे आगे है। ऎसी उम्मीद जताई जा रही है कि बंटवारे के बाद अलग हुए हर राज्य के हिस्से में 15 से 20 जिले और 3 से 5 मंडल आएंगे। बिहार की सीमा से सटे इस इलाके >में 24 जिलों को लाने की मांग है। इनमें वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ और बस्ती जैसे जिले खास हैं। पूर्वाचल की तरह ही यूपी के सबसे पिछडे समझे जाने वाले बुंदेलखंड इलाके को भी अलग राज्य बनाया जाना है। बुंदेलखंड के भूगोल पर नजर डालें, तो इसमें फिलहाल 3 मंडल और 11 जिले हैं जिनमें झांसी, महोबा, बांदा, हमीरपुर, ललितपुर और जालौन जिले शामिल हैं।

जाहिर है यूपी चुनाव से पहले सूबे को बांटने का सियासी मौका और दस्तूर दोनों है, लेकिन क्या यूपी विधानसभा में मायावती की ये मुहिम कामयाब होगी। पश्चिमी यूपी को भी हरित प्रदेश के रूप में अलग दर्जा दिए जाने की मांग होती रही है। दिल्ली से सटे होने के चलते ये इलाका काफी विकसित है। इसमें आगरा, अलीगढ, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली मंडल अहम हैं। तीन हिस्से निकलने के बाद जो यूपी बच जाएगा वो यूपी कहलाएगा। बचे हुए यूपी में देवीपाटन, फैजाबाद, इलाहाबाद, लखनऊ और कानपुर मंडल का नाम लिया जा सकता है। सूबे के दूसरे सबसे बडे दल समाजवादी पार्टी ने पहले से ही बंटवारे की मुखालफत का ऎलान कर रखा है। कांग्रेस ने कहा है कि राज्य का बंटवारा तभी मुमकिन है जब पुर्नगठन आयोग इस पर कोई फैसला दे। वहीं बीजेपी ने भी इसका खुला विरोध किया है। बच जाते हैं आरएलडी और निर्दलीय विधायक, लेकिन उनके भी अपने सियासी गणित हैं। साफ है यूपी चुनाव से पहले माया ने बडा सियासी दांव तो चल दिया, लेकिन सूबे के सियासी समीकरण को देखते हुए विधानसभा में इसे पास करा पाना फिलहाल तो दूर की कौडी ही लग रही है।