फर्रुखाबाद: आवास विकास स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दौरे पर सज धज कर आयीं अपर निदेशक लखनऊ डॉ रेखा तिवारी को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के प्रतिनिधि के तौर पर लोहिया अस्पताल भेजा गया था लेकिन डॉ रेखा तिवारी का दौरा महिला सीएमएस डॉ सुमन सिंह व सीएमएस एके पाण्डेय के साथ नास्ता करने व इनके आवास पर कुछ देर रुकने के बाद दौरा इतिश्री हो गया|
मुख्यमंत्री के संभावित दौरे को देखते हुए जो रिपोर्ट ऊपर भेजी गयी थी| उन खामियों को गंभीरता से चेक करने के लिए डॉ रेखा तिवारी लखनऊ से फर्रुखाबाद एम्बेसडर में बैठकर आयीं| तुरंत बाद महिला व पुरुष सीएमएस के साथ लगभग तीन घंटे तक गुप्त वार्ता करती रहीं| सीएमएस व एडी की वार्ता चल रही ही तभी अचानक क़ानून मंत्री सलमान खुर्शीद के प्रतिनिधि पूर्ण प्रकाश शुक्ला पुन्नी जबरदस्ती केविन में घुस गए व एडी से अस्पताल की लापरवाही व महिला विभाग में यूरीन सुगर स्ट्रीट के न होने की बात कही|
पुन्नी ने बताया कि लोहिया अस्पताल के डाक्टर भी समय पर मरीजों को नहीं देखते व मरीजों के साथ गलत व्यवहार करते हैं| इसपर एडी ने पुन्नी को आश्वासन देकर टरका दिया | काफी समय तक चली गुप्तगू के बाद सीएमएस डॉ एके पाण्डेय से कुछ कागज़ पर लिखवाकर हस्ताक्षर कराये| एडी के अस्पताल में होने के बावजूद भी कई मरीज डाक्टर के न मिलने के कारण दर-दर भटकते रहे|
तीन घंटे बाद जब एडी रेखा तिवारी कमरे से बाहर आयीं तो मीडिया से बात करने से कन्नी काटती रहीं| काफी प्रयास के बाद उनसे पूंछा गया कि आपके अस्पताल दौरे का क्या कारण है? जिसपर एडी का जबाव था कि घूमने आये हैं| लेकिन जब इनसे यह कहा गया कि राजकीय वाहन से कोई घूमने नहीं जाता जिसपर एडी बगले झाकने लगीं| मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि जो रिपोर्ट प्रशासन के द्वारा भेजी गयी थी उस रिपोर्ट के आधार पर हम जांच करने आये हैं| लेकिन प्रश्न इस बात का उठता है कि बंद कमरे में एडी ने तीन घटने किस चीज की जांच की न ही अस्पताल का कोई वार्ड देखा कई परेशान मरीज एडी साहिबा से मिलने के इन्तजार में लोहिया अस्पताल की लापरवाही की शिकायत करने के लिए घंटों इन्तजार में खड़े रहे लेकिन एडी साहिबा को सूचना देने के बाद भी उन गरीब, बीमार मरीजों की वेदना को नहीं सुना|
आखिरकार जांच किस चीज की गयी ? इससे तो ऐसा लगता है कि एडी साहिबा सिर्फ खानापूर्ति के चक्कर में ही आयी थीं तभी तो सीएमएस के घर गईं| जितनी देर सीएमएस के घर में बातचीत व चाय-नास्ते में समय गंवाया| अगर इतना समय मरीजों की समस्या को सुन लेती तो शायद उनको इलाज व अस्पताल की कुछ बची कुची सुविधाएं मिल जाती हैं|
अनियमितिता पायी गयी या नहीं तो इस बात पर एडी साहिबा ने नाक भौंह सिकोड़ते हुए कहा कि छोटी मोटी कमियाँ तो घर घर में मिल जाती हैं| सही भी है इसके अलावा और जवाब भी क्या था? अगर दौरा किया होता तो उनको समझ में आता कि अस्पताल में जनरेटर तो है लेकिन उसमे तेल नहीं, तेल की व्यवस्था अगर हो भी जाए तो जनरेटर खराब हो जाता है| इतने बड़े अस्पताल में कई मौतें मरीजों को आक्सीजन न मिल पाने के कारण हुईं| कई डाक्टर तो सिर्फ एक, दो घंटे ही खानापूर्ति कर वापस अपने प्राईवेट नर्सिंग होम में लौट जाते हैं| अपने हिसाब से तो एडी साहिबा का जवाब विल्कुल ईमानदारी वाला था| प्रशासन के हजारों रुपयों का चूना ;लगाकर दौरे के नाम पर तीन घंटे नास्ता करके बैरंग लौट गयीं|