बिजली गुल होने पर भरना होगा अधिकारियों को वेतन से हर्जाना

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फर्रुखाबाद: चार घंटे से ज्यादा समय तक बिजली गुल रहने या फिर समय से काम न होने पर उपभोक्ता अब बिजली कंपनियों पर हर्जाने का दावा कर सकेंगे। यही नहीं वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के चलते अगर टीवी, फ्रिज या अन्य कीमती विद्युत उपकरण फुंक जाते हैं तो भी उपभोक्ता हर्जाने का दावा कर सकेंगे। हर्जाने की धनराशि का पांच प्रतिशत संबंधित अधिकारियों के वेतन से काटा जायेगा।

राज्य विद्युत नियामक आयोग ने सोमवार को विद्युत वितरण संहिता के मुआवजे संबंधी प्रावधानों को लागू किए जाने का विधिवत आदेश जारी कर दिया। संहिता के अनुसार आयोग ने हर काम के लिए मानक और समयसीमा तय कर दी है। इसके अनुसार काम न होने पर उपभोक्ता हर्जाने का दावा कर सकेंगे और बिजली कंपनियों के लिए इसका भुगतान करना बाध्यकारी होगा। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसे ऐतिहासिक फैसला करार देते हुए इसको उपभोक्ताओं की बड़ी जीत बताया है।

अब फ्यूज उड़ने, लाइन टूटने या ट्रांसफारमर में खराबी के चलते अगर घर की बिजली चार घंटे से ज्यादा गुल रहती है तो वहां के उपभोक्ताओं को अगले बिल में 50 रुपये कम चुकाना होगा। इसके लिए किसी तरह की शिकायत करने की जरूरत भी नहीं होगी। यह राशि जुर्माने के तौर पर बिजली कंपनी से वसूल की जाएगी। इन्हीं हालातों में यदि कटौती 10 घंटे से ज्यादा होती है तो यह राशि बढ़कर 100 रुपये हो जाएगी और 13 घंटे से ज्यादा की कटौती पर बिजली कंपनी को उपभोक्ताओं को 150 रुपये का भुगतान करना होगा। कई और मामलों में उपभोक्ताओं को सुविधाएं देने में हीलाहवाली बिजली कंपनी को भारी पड़ेगी।

गौरतलब है कि 26 सितंबर को राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष राजेश अवस्थी की अध्यक्षता में हुई विद्युत वितरण संहिता रिव्यू पैनल की बैठक में संहिता की मुआवजे संबंधी धाराओं को अमल में लाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। बैठक में मुआवजे संबंधी धाराओं को तत्काल लागू करने पर सहमति बनी थी। आज आदेश जारी होने के साथ ही यह प्रभावी हो गया। आदेश की प्रति पावर कार्पोरेशन समेत सभी बिजली वितरण निगमों के एमडी को भेज दी गई है।

 

तय अवधि में काम न करने पर जिम्मेदार अभियंता (अवर अभियंता, सहायक अभियंता व अधिशासी अभियंता) पर संबंधित सेवा शुल्क का 0.5 फीसदी पेनाल्टी लगेगी जो कि न्यूनतम पांच सौ रुपये जबकि अधिकतम पांच हजार रुपये तक होगी। संबंधित क्षेत्र का अधीक्षण अभियंता प्रथम अपीलीय प्राधिकारी होगा। द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी क्षेत्र का मुख्य अभियंता रहेगा। पुनरीक्षण प्राधिकारी संबंधित विद्युत वितरण निगम (डिस्काम) का प्रबंध निदेशक होगा। उक्त व्यवस्था के संबंध में कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया जा चुका है।

अभियंताओं को उपभोक्ताओं के काम में हीला-हवाली करना भारी पड़े इसके लिए कार्पोरेशन प्रबंधन पहली बार सर्विस डिलीवरी गारंटी व्यवस्था लागू करने जा रहा है। इसके तहत जरूरतमंद को नया स्थायी या अस्थायी बिजली कनेक्शन, विद्युत लोड बढ़वाना-घटाना, जले या खराब मीटर को बदलने संबंधी कार्य विद्युत वितरण संहिता-2005 के अनुसार तय समय-सीमा में जिम्मेदार विभागीय अभियंताओं को सुनिश्चित करना होगा।

अधिशासी अभियंता विद्युत सुरेश कुमार ने बताया कि अभी शासनादेश प्राप्त नहीं हुआ है। विस्तृत दिशा निर्देश प्राप्त होने पर उनका अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा।