बीएड शिक्षा में अवैध वसूली के कारोबार में सब हुए मालामाल

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फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश में बीएड शिक्षा में प्रवेश से लेकर परीक्षा देने तक साल भर कॉलेज प्रबंधनो ने मनमानी कर अवैध फीस उगाही की और नेता मंत्रियो और नौकरशाहों को भी उपकृत किया| भ्रष्टाचार की इस गंगा में गाहे बगाहे कोई जाँच बैठी भी तो उसका परिणाम छात्रो के पक्ष में नहीं रहा| एक अदद नौकरी की तलाश चाहे नक़ल की डिग्री से ही मिले इस पूरे खेल की जड़ है और उस कमजोरी का फायदा उठाया होशियार और चालाक किस्म के व्यापारी ने ( मेरे अनुसार यहाँ इन कथित शिक्षाविद को शिक्षाविद उपाधि से अलंकृत करना माँ सरस्वती का अपमान होगा) |

इस पूरे खेल के लिए केवल उपरोक्त चोर टाइप के लोग ही जिम्मेदार नहीं रहे| देखा जाए तो वो बच्चे जो पढ़ाई किये बिना एक प्रमाण पत्र तलाश रहे थे असल में वे ही इस पूरे होम के जिम्मेदार हैं| मगर इन सबमे वो भी पिस गए जो अपनी पढ़ाई के बलबूते परीक्षा पास करना चाहते थे और वो भी पिसे जिनकी हैसियत 10-20 हजार खर्च करने की भी नहीं थी| कब कब और कैसे हुआ ये खेल कुछ इस तरह से समझिये-

**पहले कॉलेज प्रबंधन यूनिवर्सिटी को घूस देता है अपने कॉलेज को बीएड शिक्षा की मान्यता के लिए| फिर अधिकतम सीट आवंटन के लिए भी प्रति सीट उसे अवैध घूस भुगतान करनी होती है| ये रिश्वत हर उस आदमी को देनी होती है जिसकी टेबल से इसकी फ़ाइल गुजरती है| कॉलेज में पहले कैम्पस, योग्यता वाले शिक्षक की तैनाती, प्रयोगशाला से लेकर एक एक बिंदु जिसे कॉलेज पूरा नहीं करता उसके बदले में रिश्वत रुपी नोट अपनी फ़ाइल पास कराने के एवज में देने होते है| इन सबके के रेट फिक्स होते हैं| इतने रुपये दे आओ इतनी सीटे ले जाओ|

**बीएड एंट्रेंस परीक्षा के बाद काउंसलिंग के दौरान अपने अपने कॉलेज की सीटे भरने के लिए भी रिश्वत खोरी होती है| उसके बाद शुरू होती है इस घूस की रकम की वसूली|

**सरकार का फरमान जारी होता है इस फीस काउंसलिंग के समय जमा हो जाएगी और कॉलेज में नहीं लगेगी इसके पीछे भी सोची समझी रणनीति होती है| कॉलेज प्रबंधन और सरकारी तंत्र दोनों रात के अँधेरे में मिलते है| सरकार के मंत्री और सचिव नियम का शासनादेश जारी करते है और ऐसा नुक्ता छोड़ते है जिससे प्रबंधन अदालत चला जाता है| अदालत से प्रबंधन को एक अस्पष्ट व् अधूरा आदेश जारी हो जाता है| सरकार से जबाब देने के लिए नोटिस हो जाता है और एक निश्चित समय के लिए कारवाही आगे बाद जाती है| इस दौरान कॉलेज प्रबंधन कॉलेज में प्रवेश के नाम पर छात्रो से अवैध वसूली शुरू करते है| छात्रो द्वारा हंगामा करने पर अदालत का आदेश सामने लाया जाता है| हालाँकि उस आदेश में ये कहीं नहीं लिखा होता कि कॉलेज फीस वसूलेगा या नहीं| जिले स्तर से लेकर लखनऊ मुख्यालय तक बैठके होती है, कमेटी गठित होती है और सचिवो के बयान भूले भटके मीडिया में आते है| मगर इस पूरे खेल में न तो मुख्यमंत्री मायावती कुछ बोलती है और न उनके उच्च शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी क्यूँ इसके बारे में शायद लिखने की जरुरत नहीं| जिन जिले के कॉलेज में ये सब धंधा होता है वहां के स्थानीय सत्ताधारी एम्एलए तो ढूंढे ही नहीं मिलते और मिल जाए तो बोलते है यार तुम तो सब समझते हो, क्या करे? इस बीच छात्र लुटता रहता है| सरकार की कवायद तब तक चलती है जब तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती| इसी दौरान अदालत में सरकार की और से योजनावद्ध कमजोर दलीलों वाला पक्ष रखा जाता है और मामला अलगी तारीख के लिए बढ़ जाता है| इस बीच सरकार, नौकरशाह के पेट की भूख शांत करने का इंतजाम छात्रो द्वारा वसूली गयी अवैध फीस के एक हिस्से हो जाता है और सरकार कहती है सब ठीक है|

** अब कॉलेज में प्रवेश के बाद छात्र और छात्रा को क्या क्या कैसे कैसे भ्रष्टाचार रुपी के कोल्हू में पीस पीस कर उससे पैसा निकाला जाता है| कई गरीब माँ बाप अपनी बेटी के लिए जमा उसकी शादी के दहेज़ का पैसा इन्हें देते है तो कोई गरीब अपना खेत बेचता है|
अब देखिये कॉलेज में किन किन मदों में वसूली होती है-
*पहले किट के नाम पर २००० से २००० तक| २००/- का सामान ५००० में बेचा जाता है|
*लाइब्रेरी के नाम पर ५००० से १०००० प्रति छात्र फीस देनी पड़ती है भले ही कॉलेज में लाइब्ररी में एक भी किताब बच्चो को पढ़ने को न मिले|
*प्रायोगिक परीक्षा की फ़ाइल के नाम पर १००० से ४००० तक फीस लगती है|
*मौखिक परीक्षा और प्रयोगिक परीक्षा में अच्छे नंबर के लालच देकर १०००० से २००० तक की रकम वसूली जाती है| प्रायोगिक परीक्षा लेने के लिए आने वाले दल भी मालामाल होकर जाते है|
*कॉलेज में बिना पढ़े केवल हाजिरी रजिस्टर पर उपस्थिति दर्ज कराने वाले छात्र २५००० से ५०००० का अत्रिरिक्त भुगतान करते है| कॉलेज प्रबंधन इस काम को बखूबी प्रचार प्रसार कर छात्रो को प्रोत्साहित करते है और अपना धंधा चमकाते है|
*परीक्षा के समय प्रवेश पात्र सीधे छात्रो को उपलब्ध न कराकर कॉलेज के माध्यम से यूनिवर्सिटी भिजवाता है| इसके बदले में यूनिवर्सिटी के बड़े अधिकारी एक निश्चित धनराशी कॉलेज से वसूलते है|
*वार्षिक परीक्षा के प्रवेश पत्र देने से पहले कॉलेज छात्रो से अपना हिसाब किताब करता है| जिनसे टार्गेट की हुई अवैध धन कमाई मिल जाती है उन्हें प्रवेश पत्र दे दिया जाता है जिनसे नहीं हो पाती है उनसे पैसा वसूलने के लिए प्रवेश पत्र किसी अमोघ अस्त्र की तरह कॉलेज प्रबन्धन इस्तेमाल करते है| ये जानते हुए भी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तक चुपचाप ये तमाशा करवाते है|

*सरकार ने तीन प्रकार की फीस निर्धारण किये गए हैं- एक सामान्य श्रेणी की जीमे छत्र को २७०००/- फीस में बी एड करने को मिलता है| दूसरी श्रेणी में १९०००/- की फीस लगती जो पिछली श्रेणी के छात्रो के लिए है| तीसरी श्रेणी गरीबी से नीचे जीवन यापन करने वाले वच्चो के लिए और अनुसूचित जाति के छात्रो के लिए, इस श्रेणी में बच्चो को कोई फीस नहीं देनी होती है|

मगर सरकार की ये तीनो श्रेणी बेकार हो जाती है कॉलेज में आते आते| शून्य फीस वाले को भी ५०००० से १ लाख चुकाना पड़ता है और २७००० वाले सामान्य वर्ग के छात्र को भी| फिर काहे की गरीबो और कमजोरो की सरकार| अगर कहे कि ये भी पिछली सरकारों की तरह लुटेरो की सरकार है तो वर्तमान सरकार भी अपने को पाक साफ़ नहीं कर पायेगी| साकार कहेगी हमारे पास शिकायत नहीं आई| तो ये इस तरह होगा जैसे किसी हलके का दरोगा सामने क़त्ल होते हुए देखने के बाद भी अपना काम शुरू नहीं करता जब तक उसके पास कोई शिकायत नहीं आती| यानि जिन्दा को बचाने की बजाय मुर्दे पर उसके किसी जिन्दा रिश्तेदार की शिकायत के बाद काम शुरू करता है|

सत्ताधारी नेता इस भ्रष्टतंत्र में शामिल हो अपना हिस्सा वसूलता है| विपक्षी नेता भी किसी न किसी कारनामो में लिप्त होने के कारण या फिर अपने अवसर के इन्तजार में खामोश रहते है| आखिर उन्हें भी सत्ता में आने के बाद यही सब करना है| ज्यादा से ज्यादा ज्ञापन देकर फोटो अख़बार में छपवाते है और मंचो पर सरकार को कोस देते है| देर रात में सभी मिलते है और एक दुसरे का हाल चाल लेते है|

ऊपर से अमीर दिखने वाले इस प्रकार के कारनामो में लिप्त कॉलेज वाले कितने लालची, कमजोर और गरीब है इस बात का अंदाजा इसी से लगता है कि ये किसी झोपड़ी उजाड़ कर अपनी जेब भरते है तो किसी जवान होती बेटी के हाथ पीले करने के लिए रखे पैसे चाहते है| और ढिंढोरा ऐसे पीटते है जैसे कितने बड़े जनता की शुभचिंतक है| अगर इनमे हिम्मत है तो किसी चौराहे पर आम जनता का दरबार कर उनके सवालों का मुकाबला करके दिखाएँ|

पाठको से अनुरोध है अपनी राय जरुर लिखे हम उसे भी प्रकाशित करेंगे|