वासना की शिकार यासना: डेढ़ साल में पांच बार बिकी

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फर्रुखाबाद: बिहार, उड़ीसा व बंगाल से लायी गयी युवतियों को उपभोग की वस्तु की तरह मन भरजाने के बाद सड़को पर छोड़ दिये जाने की जैसे परंपरा बन गयी है। ऐसी ही कुछ कहानी उड़ीसा लायी गयी युवती यासना की है। लगातार वासना का शिकार बनती रही यासना विगत डेढ़ वर्ष के दौरान कम से कम पांच बार बिकी।

उड़ीसा निवासी यासना पुत्री भीमा को लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व कायमगंज क्षेत्र के गॉव कोट पहाड़ी का एक युवक लेकर आया था। कुछ दिन अपने घर रखने के बाद उसने  राजा के रामपुर निवासी रिश्तेदार के हाथ बेच दिया। वहां उस युवती का शोषण होता रहा। उसके बाद फिर इस युवती को गजंडुरवारा में बेचा गया। पॉच दिन पूर्व इस युवती को दो मोटर साइकिल सवार युवक अहमदगंज गॉव में छोड़ गये। जहां इसी गॉव का सोरन पुत्र रामसहाय युवती को अपने साथ घर बुला ले गया। सोरन ने भी उसको अब घर से बे घर कर दिया है। ग्रामीणो ने इसकी सूचना कुआखेड़ा चौकी को दी जहा से युवती को कायमगंज कोतवाली भेज दिया गया । सोरन ने पुलिस के सामने बताया कि यह युवती सड़क पर बैठी रो रही थी, उसे देख कर मुझे दया आ गयी और मैं उसे अपने घर बुला लाया। मेरी पत्नी का देहान्त हो चुका है। मैं उसे यह सोच कर लेगया था कि उसे अपनी पत्नी बना कर रखूंगा। जहां वह मेरे बच्चो की देख भाल करती रहेगी। पर वह युवती मानसिक रुप से विक्षिप्त लगी, मैंने उसे आज गॉव में छोड़ दिया। जाहिर है कि हफ्ते दो हफ्ते युवती पूछताछ और तफतीश के नाम पर कोतवाली में भी रहेगी। इसके बाद किसी ट्रक ड्राइवर के हवाले कर उसकों लंबे सफर पर भेज कर किस्सा खत्म कर दिया जायेगा।

स्वभाविक है कि अपने माहौल से हजारों मील दूर एक युवती का जिसका मात्र हवस मिटाने के लिये उपभोग किया गया और जानवरों की तरह खरीदा बेचा जाता रहा हो, उससे होश की उम्मीद करना तो पागलपन ही होगा। अफसोस की बात तो यह है कि कहानी सिर्फ यासना की नहीं है। यह कहानी तो जनपद और आसपास के क्षेत्र की दर्जनों यासनाओं की है।

इस प्रकार के मामले सामने आने पर जनपद की पुलिस से तो खैर अपनी बला टालने के अलावा कुछ और किये जाने की उम्मीद ही नहीं होती। महिला उत्थान के नाम पर मंचों और चौराहों पर लंबे चौड़े व्याख्यान देने वाले लोग और संगठन सांस तक नहीं लेते। मजे की बात है कि निराश्रित महिलाओं को आश्रय प्रदान करने के नाम पर शहर की एक एनजीओ केंद्र सरकार से लाखों का अनुदान भी हड़प रही है। शहर के बड़े बड़े धन्ना सेठ और लखनऊ से लेकर दिल्ली तक धमक का ठस्सा दिखाने वाले राजनेता आज तक जनपद में एक महिला आश्रम नहीं बनवा सके हैं।