फर्रुखाबाद परिक्रमा- पुलिस का अभिनन्दन, टीपू का निंदन और उमा की गंगा

EDITORIALS

बादशाहों ! तुस्सी सचमुच महान (दल) हो|

मियाँ झान झरोखे त्रिपौलिया चौक की पटिया पर बैठे-बैठे बद्बदाये जा रहे थे| आलम यह था कि उन्हें अपने पास बैठे मुंशी हर दिल अजीज की उपस्थित का इल्म तक नहीं था| मुंशी ने ज़रा ध्यान लगाकर सुनने की कोशिश की तो समझ में आया……..|

मियाँ झान झरोखे फरमा रहे थे गजब हो गजब| कहते हैं कहते हैं अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है| परन्तु मधुर मिलन में तो कल कमाल हो गया- पिद्दी न पिद्दी का शोरवा शेर को उसकी गुफा में घुसकर ललकार रहा था| चलो अच्छा ही हुआ| प्रदेश अध्यक्ष जी हरदोई तक आकर लौट गयीं| यहाँ आती तो देखती कि उनके स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री की दुर्दशा उनके अपने कहे जाने वाले उनके अपने ही घर में लोग किस तरह बेख़ौफ़ होकर कर रहे हैं|

मुंशी जी जब सुनते-सुनते थक गए तब मियाँ को झिंझोडते हुए बोले कर्म काहे नहीं सुधारते जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे| यह तो महान लोगों का सम्मलेन था| कोई डाक बंगले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की किचेन कैबिनेट नहीं| किसी ने कहा कुछ काम नहीं हो रहा है| दूसरे ने कहा हैंड पम्प नहीं लगे तो तीसरे ने कहा हमारी तक तो सड़कें बनी नहीं हम दूसरों की क्या कहें| गिलों शिकवों का दौर चल रहा था परन्तु मुंशी जी को बीच में रोककर मियाँ बोले हाँ हाँ हमें भी मालूम है| कल के टीपू और आज के सांसद मंत्री हत्थे से उखड गए| तमतमाए चेहरे के साथ हड़काने वाले अंदाज में बोले क्या समझते हैं आप लोग अपने आपको? गलत फहमी में मत रहिये हम आज जहां है हम अपने दम ख़म योग्यता के बल पर है| आप में से किसी की मेहरबानी से नहीं| बोलिए क्या चाहते है आप हमसे ? हमें अपनी उँगलियों पर नचाना चाहते हैं क्या? ऐसा कुछ भी होने वाला नहीं है| हमें जो कुछ होना था बनना था हो लिए| बड़े बड़े तीरंदाजों को ठिकाने लगाया है हमने चुनाव के मैदान में| आप लोग हैं कि हमें लल्लू पंजू समझते हैं| यह नहीं हो पायेगा, नहीं चलेगा यह सब और जाने क्या क्या……….?

सन्नाटा छा गया डाक बंगले के कमरे में बड़े बड़े कांग्रेसी अलम्बरदार सोचने लगे कहना फंस गए बेमतलब के झमेले में| सन्नाटा भी मुंशी जी ने ही तोड़ा| बेवजह डांटने के बाद पुचकारने के अंदाज में कुछ हल्की-फुल्की बातें हुईं और मीटिंग समाप्त|

लेकिन वाह रे महान दल| आप लोग सचमुच महान है| मुंशी हर दिल अजीज बोले वह लानत मलायत बंद कमरे में हुयी परन्तु महान दल ने बीच अखाड़े में लंगोट घुमाकर चैलेन्ज कर दिया| ज़रा बानगी देखिये देश की सबसे बड़ी जातिवादी पार्टी है कांग्रेस| यहाँ से शुरूआत की महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने फिर कांग्रेस पर जमकर हमला करने के बाद सीधे हल्ला बोल दिया टीपू भाई पर- फरमाया हमारे समाज का 10 हजार वोट चुनाव में श्रीमान जी को मिला था जिसकी बदौलत जीत गए नहीं तो आंटा दाल का भाव मालूम पड़ जाता| महान दल के महान नेता केशव् देव मौर्य यहीं पर नहीं रुके| उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा कि श्रीमान जी ने हमारे समाज का अपमान किया है| जब तक हमारा समाज उनको माफ नहीं करेगा तब तक चाहें सोनिया गांधी भी कहें तो भी सलमान के परिजनों व उनकी पत्नी के खिलाफ प्रत्याशी नहीं हटाया जाएगा|

मियाँ झान झरोखे बोले बताओ अब और कुछ रह गया कहने सुनने को| हमारी बिल्ली हमी से म्याऊँ| अगर सहयोगी ऐसे है तब फिर विरोधी कैसे होंगें? कमालगंज के एक फुंके हुए कांग्रेसी से जब इस प्रकरण पर प्रतिक्रया माँगी तब अंदर से प्रसन्न और बाहर से दुखी होकर बोले जब संगी साथी बनाने में कोई क़ानून कायदा तौर तरीका नहीं रखोगे, चमचों को पालोगे और सही बात कहने वालों को सही सलाह देने वालों को अपना दुश्मन समझोगे तब यह तो सब होगा ही| अभी क्या हुआ यह तो शुरूआत है| भैया जी आगे-आगे देखिये होता है क्या ? मंत्री जी के खास कहे जाने वाले लोगों ने इस मामले पर रस्मी विरोध तो दर्ज कराया परन्तु तेवर नदारद थे| देखना है साहब जी और मैडम जी आने वाले दिनों में महान दल की नाराजगी दूर करते है या नाराजगी मोल लेते हैं|

नाम नहीं काम से होगा महान-

महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य जी ! आखिर यह ढकोसला क्यों करते हो ? एक ओर कांग्रेस को देश की सबसे बड़े पार्टी वह भी जातिवादी बताते हो कांग्रेस सरकारों का नेतृत्व भी मनुवादियों के हांथो बताते हो| फिर कौन सी मजबूरी है कि चुनावी तालमेल उसी कांग्रेस पार्टी से किये हुए हो| यह हँसाना और गाल फुलाना एक साथ काहे को हो रहा है| अपने ही समाज जिसकी दुहाई देते हुए घूम रहे हो को गाजर मूली की तरह बेंचने का काम कर रहे हो| यह कौन सी सामाजिक क्रान्ति कर रहे हो| जातिवाद, मनुवाद को पानी पी पीकर कोसते हो और जातिवाद को ही पाल पोस रहे हो|

मनुवाद को कोसने का फैशन नहीं बनाईये| पहले मनु स्मृति पढ़िए ( निश्चय ही आपने अभी तक नहीं पढ़ी होगी ) और समझिए| उसकी खराब बातों को छोड़ दीजिए और अच्छी बातों को ग्रहण कीजिये| मनु स्मृति अपने समय का सामाजिक संविधान है जिसने समाज को सजाया, संवारा और आगे बढ़ाया| समय के साथ उसमे निश्चित रूप से विकृतियाँ आई हैं उन्हें दूर करिये| सम्पूर्ण सही कोई नहीं है| भारत के संविधान को बनाने में न जाने कितना परिश्रम हुआ| 60 साल की अवधि में देश काल और परिस्थित के हिसाब से कितने संसोधन और परिवर्तन हुए| फिर भी क्या उसे सम्पूर्ण और अपरिवर्तनीय नहीं कहा जा सकता है|

रही बात जातिवाद की न कोई जाति या समाज सम्पूर्ण रूप में अच्छा होता है और न ही बुरा| उसमे अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं| अच्छे को ग्रहण करिये और बुरे को हतोत्साहित करिये| मधुर मिलन में महान दल का जलसा हो और बातें छिछोरी और टुच्चेपन की हों इसमें भला किसी का नहीं होगा|

आपके समाज में चन्द्रगुप्त मौर्य से बड़ा नायक कौन हुआ ? उस चंद्रगुप्त मौर्य के उत्कर्ष में योगदान किसका था आचार्य चाणक्य का| भगवान वुद्ध के अनुयायी अपने आप को बताते हो | भगवान वुद्ध के प्रथम पांच शिष्य कौन थे सबके सब ब्राह्मण थे| भगवान वुद्ध ने ही जाति व्यवस्था के सम्बन्ध में कहा था उसे ध्यान से समझो और उसका पालन करो| तब तो वास्तव में महान बन सकोगे| अन्यथा विरादरी और जातपात की बातें करने वालों से तुम्हारी कोई अलग से पहिचान कभी नहीं बन पायेगी|

भगवान बुद्ध ने कहा है कि जाति जन्म से नहीं स्वभाव और क्रम से पहचानी जाती है| राग रहित, धर्म परायण, सयमी और सेवाभावी व्यक्ति कोई भी हो ब्राह्मण ही है| वैसे सभी जेंम से शुद्ध ही होते है|

इस लिए महान दल के महान नेताओं किसी और से नहीं तो भगवान बुद्ध से ही सीखो जिनका कहना है “ आत्म दियो भव ”  अपने दीपक स्वयं बनो| देखना है आप सुधरते है या नहीं| क्रपा करके वार और पलट वार करने का यह सिलसिला बंद करके अपने आराध्य में पूरी आस्था और उपदेशो शिक्षाओं पर मन बचन कर्म से अनुसरण ही आपको महान बनाएगा| किसी की निंदा स्तुति से कुछ होने वाला नहीं है|

पुलिस का अभिनंदन-

जब पूरे जिले में पुलिस प्रशासन के क्रिया कलापों को लेकर चारों ओर से लानत मलायत हो रही हो, उंगलिया उठाई जा रही हो| ऐसे माहौल में पुलिस का अमेठी जदीद में एक हत्याकांड के के सही और त्वरित खुलासे के चलते हुआ अभिनंदन अपने आप में चौकाने वाला है| कही से भी सही पुलिस मित्र की शरुआत तो हुई| इस आयोजन में परदे के पीछे और सामने जो लोग थे उनकी नेक नियती पर हमें इंच मात्र भी शक नहीं है| परन्तु माहौल नेताओं मुखबिरों और दलालों ने इतना खराब कर दिया है कि थाने में इनमे से किसी की सिफारिश के बिना अपना जायज काम भी करवा पाना बेहद टेंडी खीर है|

नेताओं की तरह ही पुलिस प्रशासन को भी अपनी आलोचना सुनने में बेहद तकलीफ होती है| इसी अमेठी के निकटवर्ती गाँव खानपुर में वर्षों पहले जीएल शर्मा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रहते कैलाश चंद्र कटियार के मुद्दे पर एक सम्मान समारोह हुआ था| कैलाश चंद्र कटियार तब बढ़पुर ब्लाक के प्रमुख थे और शिवकुमार मिश्रा खंड विकास अधिकारी थे| दोनों ही इस आयोजन के प्रमुखकर्ता धरता थे| पुलिस के यशोगान के बीच एक वक्ता ने पुलिस के संदर्भ में खरी-खरी कह दी जिसपर जमकर तालियाँ बजीं| परन्तु शर्मा जी बिदक गए| संचालक को बुलाकर कहा आपने इन्हें ब्रीफ नहीं किया था कि क्या बोलना है| संचालक बेचारे क्या कहते बोले कुछ नहीं परन्तु समझ सब गए| हम नेता हों अफसर हो पुलिस हो या कोई भी हों जब तक प्रायोजित प्रशंसा से प्रसन्न और सच्ची आलोचना से दुखी और उत्तेजित होने की आदत नहीं छोडेंगें तब तक वास्तव में भला किसी का होने वाला नहीं है| परम पिता परमात्मा से यही प्रार्थना है कि आने वाले दिनों में गली-गली गाँव-गाँव मित्र पुलिस का वास्तविक और जन भावनाओं से जुड़ा अभिनंदन हो और जनता तहा पुलिस दोनों ही अपने को गौरवान्वित करे| जय हिंद !

जय हो गंगा मईया की-

माँ गंगे तेरी महिमा अपरंपार है| यदि ऐसा न होता तब फिर दो धुर विरोधी एवं राजनैतिक द्रष्टि से बेहद ताकतवर महिलायें गंगा सफाई अभियान के नाम पर आपस में मिल बैठकर बात नहीं करती| दुनिया की कोई ऐसी समस्या नहीं है जो मिल बैठकर वार्ता करने से हल नहीं हो सकती| परन्तु हम तो दुराग्रही और कुतर्की होते जा रहे हैं| लंबे वनवास के बाद साध्वी उमा भारती की भाजपा में वापसी हुयी है| गंगा सफाई अभियान के सिलसिले में उनका दूसरी काशी के नाम से बिख्यात फर्रुखाबाद में कार्यक्रम प्रस्तावित है| क्या हमारे केंद्रीय जल संसाधन विकास मंत्री तथा क्षेत्रीय सांसद अपने साथियों के साथ गंगा बचाओ अभियान के प्रस्तावित कार्यक्रम में भाग लेने की हिम्मत उसी तरह दिखाएंगें जैसी हिम्मत उमा भारती ने इस अभियान के संदर्भ में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी से मिलकर दिखाई है| यदि ऐसा हुआ तब फिर कम्पिल से कन्नौज तक गंगा तट पर बसा यह फर्रुखाबाद और कन्नौज जनपद गंगा अभियान में मील का पत्थर सावित होगा| हम गर्व के साथ यह कह सकेंगें कि सचमुच गंगा मैया हमारे देश की भागे रेखा है| जीवन रेखा है इसकी साफ सफाई अविरल बहती निर्मल धारा हमें सुख सम्रद्धि की ओर ले जायेगी|

और अंत में-

दिन दिन बढती महंगाई में कमी की बात आकाश कुसुम हो गई है| डीजल, गैस और मिट्टी तेल की मूल्य वृद्धि ने तो इसमें और बढोत्तरी की स्थित बना दी है| विरोध हो रहा है विरोध होगा परन्तु इस रस्मी फोटो खिंचाओ विरोध से कुछ नहीं होगा| सरकार वास्तविकता को नकार कर निरंकुश हो रही है| जमकर एकजुट होकर कारगर विरोध की जरूरत है| अपनी ढपली पर अपना राग मत बजाईए| सबकी ढपली पर सबका राग मिलकर बजाईए, महंगाई को सचमुच में दूर भगाईये|

विनाश रोकना है और विकास के रथ को आगे बढ़ाना है| तब फिर महंगाई के महादैत्य के विनाश के लिए सब कुछ भूलकर एकजुट होकर कार्य करना होगा|

आओ आगे मिलकर आओ,

महंगाई के महादैत्य में सचमुच मिलकर आग लगाओ|

पीस रही हम सबके सपने, अपने ही रह गए न अपने

महंगाई ने मार दिया है,

रस जीवन का चूस लिया है,

उठो जागो आगे बढ़कर, इस डायन को दूर भगाओ|

जब तक महंगाई कम नहीं होगी भ्रष्टाचार भी नहीं रुकेगा| यह दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं| एक के बढ़ने से दूसरा बढ़ेगा| एक पर अंकुश लगेगा तब दूसरा अपने आप कम होगा| यह दोनों मिलकर सभी को मार रहे हैं| इसलिए सबको मिलकर इनसे मोर्चा लेना ही होगा| अब इसके बिना कोई चारा भी नहीं है|

जय हिंद………………|

(लेखक वरिष्ट पत्रकार के साथ वकील व समाजवादी चिंतक है)

प्रस्तुति-

सतीश दीक्षित (एडवोकेट)
1/432, आवास विकास कालोनी फर्रुखाबाद

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