जिले को मिलेगी 12000 बोरी डीएपी व 36000 बोरी एनपीके

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) शुक्रवार को जनपद में 12000 बोरी डीएपी व 36000 बोरी एनपीके मिल रही है| किसानों से आलू में एनपीके का प्रयोग करनें की सलाह दी गयी है|
आलू एवं रबी की मुख्य फसल गेहूँ की बुबाई के लिये जिलाधिकारी द्वारा सहकारिता एवं निजी क्षेत्र के विक्रेताओं हेतु 2-2 रैक डीएपी एवं एनपीके की मांग शासन से की गयी है। जिला कृषि अधिकारी बीके सिंह ने बताया कि जनपद में 95 प्रतिशत से अधिक आलू की बुबाई पूरी हो चुकी है। डीएपी की अधिकांश खपत आलू की बुवाई में कृषकों द्वारा की जाती है। कृषि निदेशालय के उर्वरक आपूर्ति करने वाले अधिकारी से सम्पर्क के बाद अतिरिक्त मात्रा में 36000 बोरी एनपीके रैक द्वारा जनपद को मिल रही है, इसके अलाव जनपद में डीएपी रैक की आपूर्ति से पूर्व 12000 बोरी डीएपी हरदोई जनपद के भंडारण से जनपद को उपलब्ध हो रही है| जिससे किसानों को काफी राहत मिलेगी|
आलू की बुआई में डीएपी से ज्यादा एनपीके लाभदायक
जिला कृषि अधिकारी कि डीएपी में केवल नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस मिलता है, जबकि एनपीके में पौधों के लिए तीनों मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश मिलता है। इसके प्रयोग से पौधे को मुख्य पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है। आलू हेतु पोटाश बहुत ही आवश्यक है, डी0ए0पी0 की तुलना में एनपीके का प्रयोग आलू हेतु बेहतर है। जनपद में माह अक्टूबर तक यूरिया के लक्ष्य 12900 मै0 टन के सापेक्ष उपलब्धता – 30285 मै0टन, डीएपी के लक्ष्य 12100 मै0टन के सापेक्ष उपलब्धता- 12964 मै0टन, एन0पी0के0 के लक्ष्य 10600 मै0टन के सापेक्ष उपलब्धता – 12346 मै0टन एवं सुपर 14000 मै0टन के सापेक्ष उपलब्धता – 12423 मै0टन उपलब्ध है।
अब तक क्या हुई कार्यवाही
गुणवत्ता परीक्षण हेतु 96 उर्वरक नमूने, 100 बीज नमूने एवं 47 कीटनाशी नमूने ग्रहित किये गये है। उर्वरक में 2 व्यक्तियों एवं कीटनाशी में 1 के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने के साथ जेल भेजे जाने की कार्यवाही करायी जा रही है। विभिन्न प्रकार की अनियमितता की वजह से 1 विक्रेता का प्रतिष्ठान सील किया गया है एवं 7 उर्वरक, 6 बीज एवं 7 कीटनाशी के लाइसेंस निलम्बित किये गये है। इस प्रकार उर्वरक, बीज एवं कृषि रक्षा के कुल 243 नमूने ग्रहित किये गये, 3 के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत 1 दुकान सील एवं 20 विक्रेताओं के लाइसेस निलम्बित किये गये है। कृषकों के हित का विशेष ध्यान रखना शासन / प्रशासन एवं कृष विभाग की प्राथमिकता पर है।