नई दिल्ली: आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का 72वां जन्मदिन है।श्री मोदी के जन्मदिन पर देशभर में कई तरह के खास कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अपने जन्मदिन पर पीएम मोदी मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों को छोड़ेंगे। नामीबिया से आठ चीतों को लेकर विशेष मालवाहक विमान शनिवार सुबह प्रदेश के ग्वालियर पहुंच गया। अधिकारियों ने बताया कि इन आठ चीतों में पांच मादा और तीन नर हैं। नामीबिया से ‘प्रोजेक्ट चीता’ के हिस्से के रूप में इन्हें भारत लाया गया है।मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चिनूक हेलीकॉप्टर से आठ चीतों को उतारा गया है। पीएम मोदी कुछ ही देर में इन चीतों को राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ेगें। पीएम मोदी भी नई दिल्ली से रवाना होकर ग्वालियर पहुंच गए हैं। कुछ ही देर में राष्ट्रीय उद्यान पहुंचेगे। पीएम मोदी दिल्ली से ग्वालियर के लिए रवाना हो गए हैं। ग्वालियर से वो श्योपुर स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान जाएंगे। अपने 72वें जन्मदिन पर पीएम मोदी इस राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से भारत आए आठ चीतों को छोड़ेंगे।
ग्वालियर से विशेष हेलीकॉप्टरों से कूनो जाएंगे चीते:चीतों के स्वास्थ्य परीक्षण की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद अब इन्हें ग्वालियर से विशेष हेलीकॉप्टरों से कूनो के लिए रवाना किए जाएगा। एयरफोर्स स्टेशन पर मौजूद जिला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक शिफ्टिंग स्वास्थ्य परीक्षण लगभग पूर्ण हो चुका है।प्रधानमंत्री मोदी सुबह करीब 9.20 बजे नई दिल्ली से ग्वालियर हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे। इसके बाद यहां से कूनो के लिए रवाना होंगे। जहां वह आज सुबह करीब 10.45 बजे चीतों को जंगल में छोड़ देंगे।
चीतों के मध्य प्रदेश आने पर सीएम ने जताई खुशी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने पीएम मोदी को जन्मदिन पर बधाई दी। साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के लिए यह एक बड़ी सौगात है। चीते नामीबिया से भारत और भारत में भी मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क आ रहे हैं।कूनो में प्रधानमंत्री द्वारा जंगली चीतों की रिहाई भारत के वन्य जीवन और इसके आवास को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है। भारत में सबसे तेज भूमि पशु की शुरूआत प्रोजेक्ट चीता के तहत की जा रही है। यह दुनिया की पहली अंतर-महाद्वीपीय जंगली मांसाहारी ट्रांसलोकेशन परियोजना है।1952 में भारत में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। आज जिन चीतों को छोड़ा जाएगा वे नामीबिया के हैं और उन्हें इस साल की शुरुआत में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के तहत लाया गया है।