कांग्रेस ने लोकतंत्र से ऊपर गांधी परिवार को दिया महत्व

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) शनिवार को शहर के आवास विकास कॉलोनी स्थित जिला कार्यालय पर आपातकाल दिवस की बरसी पर संगोष्ठी व लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान समारोह आयोजित हुआ|
मुख्य अतिथि कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्रीय उपाध्यक्ष आनंद सिंह ने कहा 25 जून 1975 आपातकाल भारत के लोकतंत्र का काला अध्याय साबित हुआ जिस दिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बचाने के लिए देश के लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया। देश की सभी संवैधानिक संस्थाएं मीडिया राजनीतिक दल एवं लोकतंत्र रक्षकों पर सरकार का प्रतिबंध हो गया। 1975 आपातकाल के विरोध में उठी प्रत्येक मुखर आवाज को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दमनकारी नीतियों से प्रतिबंधित कर दिया। आंदोलनकारियों पर सरकार ने अन्याय और अत्याचार की पराकाष्ठा पार कर दी नौजवानों को जेल में डाल दिया गया आंदोलन कर रहे जयप्रकाश नारायण,अटल बिहारी वाजपेयी,जॉर्ज फर्नांडीज और लालकृष्ण आडवाणी को नजर बंद कर दिया गया। जनपद में भी दयाराम शाक्य ब्रह्मदत्त द्विवेदी और राम प्रकाश त्रिपाठी को जेल में डाल दिया गया। कांग्रेस ने हमेशा लोकतंत्र से ऊपर गांधी परिवार को महत्व दिया। विशिष्ट अतिथि सांसद मुकेश राजपूत ने कहा आजादी के उपरांत स्वतंत्र भारत में आपातकाल लोकतंत्र का सबसे काला बड़ा काला अध्याय है देश के युवाओं को आपातकाल के बारे में जानने की आवश्यकता है जब 25 जून 1975 भारत में मौलिक अधिकारों का हनन हुआ एक पार्टी व परिवार ने देश के लोकतंत्र की हत्या कर दी। अदालत के फैसले को अस्वीकार करते हुए देश को आपातकाल की आग में झोंक दिया।
भाजपा जिलाध्यक्ष रूपेश गुप्ता, अमृतपुर विधायक सुशील शाक्य, भोजपुर विधायक नागेंद्र सिंह राठौर, कॉपरेटिव बैंक चेयरमैन कुलदीप गंगवार नें विचार व्यक्त किये| जिला महामंत्री हिमांशु गुप्ता, कार्यक्रम संयोजक युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष मयंक सिंह बुंदेला, युवा मोर्चा जिला महामंत्री राहुल राजपूत,फर्रुखाबाद पश्चिम मंडल अध्यक्ष विकास पांडे फर्रुखाबाद पूर्वी मंडल अध्यक्ष राजकुमार वर्मा, शिवांग रस्तोगी, जिला मंत्री अमरदीप दीक्षित व पश्चिम मंडल अध्यक्ष शेर सिंह शाक्य, भाजयुमो मंडल अध्यक्ष रानू दीक्षित आदि रहे|
इनका हुआ सम्मान
आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों अंगने लाल, विजय वर्मा, जगदीश चंद्र पांडे, अनीता देवी पत्नी स्वर्गीय रघुवीर सिंह, राम लखन का माला एवं शॉल पहनाकर स्वागत किया गया व उन्हें रामचरित्र मानस की पुस्तक भेंट की गई।