नि:स्वार्थ भक्ति का फल मिलता अवश्य है: विमर्श सागर

FARRUKHABAD NEWS Politics Politics- Sapaa

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) बुधवार को पंहुचे जैन मुनि आचार्य विमर्श सागर महाराज ने कहा कि जैन दर्शन के अनुसार मनुष्य अपने कर्मो की श्रेष्ठता के द्वारा नर भी नारायण बन सकता है। इसके लिए सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र को अपने जीवन में उतारने से ही यह संभव हो सकता है।
बुधवार को जैन मुनि आचार्य विमर्श सागर जी महाराज कन्नौज से पद विहार कर नगर में पहुंचे। दोपहर बाद लगभग 3 बजे उन्होंने बढ़पुर के एक गेस्ट हाउस में प्रवचन किया| उन्होंने कहा कि महावीर स्वामी अथवा अन्य जैन तीर्थकर भी साधारण मनुष्य थे। उनका भी परिवार था, लेकिन उन्होंने यह जान लिया था कि आत्मा अलग है। केवल आत्मा के कल्याण से ही मनुष्य इस स्थिति को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि हम सबका शरीर, आत्मा व परिवार भी भगवान की तरह है, लेकिन मनुष्य उसे समझ नहीं पा रहा। यदि मनुष्य सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र को अपने जीवन में उतार लें तो नर भी नारायण की स्थिति प्राप्त कर सकता है। जैन संत ने कहा कि मनुष्य को नि:स्वार्थ भाव से भगवान की भक्ति करनी चाहिए, उसका फल मनुष्य को अवश्य मिलता है। इसके बाद वह कंपिल के लिए रवाना हो गये| इस मौके पर  ऋषभ शरण जैन, राहुल जैन, दिलीप जैन, विकास जैन, सनी जैन,अतुल जैन, प्रवीण जैन, प्रमोद जैन आदि रहे |